अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और यूएस इंस्टीट्यूट ऑफ पीस के बीच चल रहे कानूनी विवाद के बीच एक बड़ा कदम सामने आया है। अमेरिकी विदेश विभाग ने घोषणा की कि संगठन का नाम बदलकर डोनाल्ड जे. ट्रंप इंस्टीट्यूट ऑफ पीस कर दिया गया है। विभाग का कहना है कि यह बदलाव “हमारे राष्ट्र के इतिहास के सबसे बड़े ‘डीलमेकर’ को सम्मान देने के लिए” किया गया है।
यह फैसला ऐसे समय में आया है जब ट्रंप प्रशासन और संस्थान के बीच नियंत्रण को लेकर अदालत में संघर्ष जारी है। यूएस इंस्टीट्यूट ऑफ पीस एक गैर-लाभकारी थिंक टैंक है, जो वैश्विक शांति पहलों पर काम करता है। यह संस्थान इस वर्ष की शुरुआत में ‘डिपार्टमेंट ऑफ गवर्नमेंट एफिशिएंसी’ का लक्ष्य बना था, जिसके बाद से विवाद गहराता गया।
ट्रंप प्रशासन पहले ही संस्थान के कार्यों और संरचना में बदलाव की कोशिश कर रहा था। इस क्रम में नया नामकरण एक बड़ा राजनीतिक संकेत माना जा रहा है। विरोधियों का कहना है कि यह कदम संस्थान की स्वतंत्रता पर असर डाल सकता है, जबकि समर्थकों का मानना है कि ट्रंप की नीतियों ने शांति प्रक्रियाओं में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, जिसे मान्यता मिलनी चाहिए।
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बावजूद इसके, दोनों पक्षों के बीच कानूनी जंग अभी खत्म नहीं हुई है। अदालत में यह तय होना बाकी है कि संस्थान पर अंतिम नियंत्रण किसका होगा। दूसरी ओर, इमारत पर ट्रंप का नाम लगाने से प्रशासन ने स्पष्ट कर दिया है कि वह संस्थान को अपनी विचारधारा के अनुरूप ढालने के लिए प्रतिबद्ध है।
यह विवाद अमेरिकी राजनीतिक परिदृश्य में एक और बहस को जन्म दे रहा है कि क्या किसी स्वतंत्र संस्थान को राजनीतिक पहचान दी जानी चाहिए या नहीं।
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