कोलकाता हाईकोर्ट ने मुर्शिदाबाद में हुई हिंसा के पीड़ितों के लिए वितरित की गई मदद राशि पर सवाल उठाते हुए अधिकारियों से रिपोर्ट तलब की है। अदालत ने कहा कि 1.2 लाख रुपये एक मकान बनाने के लिए पर्याप्त नहीं हैं और इसे पुनर्मूल्यांकन किया जाना चाहिए।
मुर्शिदाबाद जिले में हाल ही में हुई हिंसा में कई घर तबाह हुए और स्थानीय लोगों को भारी नुकसान हुआ। राज्य सरकार ने पीड़ित परिवारों की मदद के लिए 1.2 लाख रुपये की आर्थिक सहायता देने का निर्णय लिया था। हालांकि, अदालत ने अधिकारियों को निर्देश दिया कि यह सुनिश्चित किया जाए कि राशि पर्याप्त है या नहीं और जरूरत पड़ने पर इसे बढ़ाया जाए।
हाईकोर्ट ने यह भी कहा कि केवल धनराशि वितरित करना पर्याप्त नहीं है, बल्कि पीड़ितों को सही दिशा में मदद और पुनर्वास की सुविधा प्रदान करना भी ज़रूरी है। अदालत ने जिला प्रशासन को निर्देश दिए कि वे इस मामले में विस्तृत रिपोर्ट जमा करें, जिसमें यह स्पष्ट हो कि फंड का वितरण कैसे किया गया और कितने परिवारों को लाभ मिला।
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विशेषज्ञों का मानना है कि इस तरह की हिंसा प्रभावित समुदाय की सामाजिक और आर्थिक स्थिति पर दीर्घकालिक प्रभाव डालती है। इसलिए, राज्य और न्यायपालिका का प्रयास होना चाहिए कि पुनर्वास और मुआवजा प्रक्रिया पारदर्शी और प्रभावी हो।
कोलकाता हाईकोर्ट की इस सुनवाई से यह स्पष्ट होता है कि न्यायपालिका केवल घटनाओं पर निर्णय लेने तक सीमित नहीं है, बल्कि प्रभावित लोगों के वास्तविक लाभ सुनिश्चित करने में भी सक्रिय भूमिका निभा रही है।
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