गृह मंत्रालय ने CAA लाभार्थियों का डेटा साझा करने से किया इनकार
गृह मंत्रालय ने CAA के लाभार्थियों का आंकड़ा साझा करने से इनकार किया। पश्चिम बंगाल BJP सांसद ने कहा कि 1 लाख संभावित लाभार्थियों में से 100 से भी कम को नागरिकता मिली।
गृह मंत्रालय (MHA) ने नागरिकता (संशोधन) अधिनियम, 2019 (CAA) के तहत लाभार्थियों की कुल संख्या का डेटा साझा करने से इनकार कर दिया है। यह अधिनियम एक साल से अधिक समय पहले लागू हुआ था, लेकिन अब तक मंत्रालय ने इस बारे में कोई आधिकारिक आंकड़ा सार्वजनिक नहीं किया है।
पश्चिम बंगाल के एक भारतीय जनता पार्टी (BJP) सांसद ने बताया कि उनके संसदीय क्षेत्र में 1 लाख संभावित लाभार्थियों में से 100 से भी कम लोगों को CAA के तहत नागरिकता प्रदान की गई है। इन लाभार्थियों में ज्यादातर मतुआ संप्रदाय से जुड़े लोग हैं।
पश्चिम बंगाल में लगभग 2.8 करोड़ लोग मतुआ और नमशूद्र समुदाय से हैं, जो इस कानून से लाभान्वित हो सकते हैं। इन समुदायों के लोगों को उम्मीद थी कि CAA लागू होने के बाद उन्हें आसानी से भारतीय नागरिकता मिल जाएगी। हालांकि, अब तक बहुत कम लोगों को ही इसका लाभ मिल सका है, जिससे लाभार्थियों में असंतोष भी देखा जा रहा है।
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CAA को 2019 में पारित किया गया था और यह पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आए हिंदू, सिख, जैन, पारसी, बौद्ध और ईसाई अल्पसंख्यकों को भारतीय नागरिकता देने का प्रावधान करता है। इस कानून का उद्देश्य उन शरणार्थियों को राहत देना है, जो धार्मिक उत्पीड़न के कारण भारत आए थे।
गृह मंत्रालय के डेटा साझा न करने से CAA की वास्तविक प्रगति और लाभार्थियों की संख्या को लेकर सवाल उठने लगे हैं। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि पारदर्शिता की कमी से न केवल लाभार्थियों में अनिश्चितता बढ़ रही है बल्कि यह मुद्दा राजनीतिक बहस का भी केंद्र बन सकता है।
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