अमेरिका में ‘नो किंग्स’ अभियान के तहत राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के खिलाफ राष्ट्रीय स्तर पर विरोध प्रदर्शन आयोजित किए गए। इन प्रदर्शनों का उद्देश्य ट्रम्प की नीतियों और उनकी नेतृत्व शैली के खिलाफ जनता में चेतना फैलाना था। प्रदर्शनकारी विभिन्न शहरों में एकत्र हुए और हाथ में बोर्ड और स्लोगन लेकर अपनी आवाज़ उठाई।
प्रदर्शनकारियों ने चेतावनी दी कि अमेरिका “तानाशाही की ओर बढ़ रहा है”। उन्होंने कहा कि यदि लोकतांत्रिक संस्थाओं और संविधान की रक्षा नहीं की गई, तो देश में अधिकारों और स्वतंत्रताओं का ह्रास हो सकता है। प्रदर्शन आयोजकों ने जोर देकर कहा कि यह अभियान नागरिकों को जागरूक करने और लोकतंत्र के मूल्यों की रक्षा करने के लिए शुरू किया गया है।
शहरों में प्रदर्शन के दौरान लोग ट्रम्प के विरोध में नारेबाजी कर रहे थे और विभिन्न मुद्दों जैसे मीडिया स्वतंत्रता, न्यायपालिका की स्वतंत्रता और नागरिक अधिकारों पर ट्रम्प की आलोचना कर रहे थे। आयोजकों का कहना था कि यह विरोध केवल व्यक्तिगत नहीं, बल्कि लोकतंत्र और अमेरिकी संविधान की रक्षा के लिए है।
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अमेरिका के प्रदर्शनकारियों ने जोर दिया कि वे सत्ता में किसी एक व्यक्ति को असीम शक्ति देने के खिलाफ हैं और लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं का सम्मान होना चाहिए। उन्होंने मीडिया और सोशल प्लेटफॉर्म पर भी अपनी आवाज़ उठाई और नागरिकों को शामिल होने के लिए प्रेरित किया।
विशेषज्ञों का कहना है कि इस तरह के प्रदर्शन अमेरिकी लोकतंत्र की मजबूती का संकेत हैं। जबकि सरकार और समर्थक इसे राजनीतिक विरोध मानते हैं, प्रदर्शनकारियों का मानना है कि यह चेतावनी और जागरूकता फैलाने का जरिया है, ताकि देश में लोकतांत्रिक मूल्यों को सुरक्षित रखा जा सके।
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