पंजाब की कैबिनेट ने 2025 की लैंड पूलिंग नीति को वापस लेने का निर्णय लिया है। किसानों और ग्रामीण समुदायों ने इसे एक बड़ी जन आंदोलन की जीत के रूप में देखा है।
आम आदमी पार्टी (AAP) की सरकार ने यह नीति 4 जून को अधिसूचित की थी। इस नीति के तहत जमीन के स्वामियों को उनकी जमीन सरकार के समन्वय में साझा करने और बाद में विकसित किए गए क्षेत्रों में हिस्सेदारी लेने का प्रस्ताव था। हालांकि, इस नीति को लेकर किसानों, खेतिहर मजदूर संघों, जमीन मालिकों और विभिन्न राजनीतिक दलों से तीव्र विरोध और आलोचना हुई।
किसानों का कहना था कि यह नीति उनके जमीन अधिकारों को खतरे में डालती है और उन्हें उनकी जमीन से वंचित कर सकती है। विरोध के स्वर इतने जोरदार थे कि सरकार को नीति वापस लेने के लिए मजबूर होना पड़ा। किसानों और आंदोलनकारियों ने इसे अपने संघर्ष और लोकतांत्रिक अधिकारों की जीत बताया।
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कृषि कार्यकर्ताओं और भूमि मालिकों ने कहा कि यह निर्णय यह दर्शाता है कि जनता की आवाज़ और जन आंदोलनों का प्रभाव प्रशासन और सरकार पर पड़ सकता है। उन्होंने यह भी उम्मीद जताई कि भविष्य में ऐसे नीतिगत निर्णय बनाने से पहले जनता और हितधारकों की राय को अधिक गंभीरता से लिया जाएगा।
AAP सरकार ने इस वापसी के पीछे जनता की भावनाओं और क्षेत्रीय परिस्थितियों को ध्यान में रखा। सरकार ने स्पष्ट किया कि नीति को संशोधित करने या पुनर्विचार करने के लिए भविष्य में सभी पहलुओं पर विचार किया जाएगा, ताकि किसी भी प्रकार के विवाद और असंतोष से बचा जा सके।
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