पंजाब और हरियाणा के सिनियर पत्रकार अंजना ओम कश्यप और अन्य के खिलाफ लुधियाना में दर्ज एफआईआर पर हाईकोर्ट ने अस्थायी स्थगन लगा दिया है। यह निर्णय वरिष्ठ पत्रकारों द्वारा कोर्ट में एफआईआर रद्द करने की याचिका दायर करने के बाद आया।
सूत्रों के अनुसार, अंजना ओम कश्यप समेत अन्य पत्रकारों के खिलाफ लुधियाना पुलिस ने शिकायत के आधार पर एफआईआर दर्ज की थी। इसके बाद पत्रकारों ने पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट में याचिका दायर कर कहा कि एफआईआर अवैध है और इसे रद्द किया जाना चाहिए।
हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ताओं की दलीलों को ध्यान में रखते हुए कहा कि तब तक कोई भी कानूनी कार्रवाई न की जाए। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि स्थगन आदेश तब तक लागू रहेगा जब तक कि मामले की अगली सुनवाई नहीं हो जाती।
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इस मामले में वकीलों ने तर्क दिया कि पत्रकारों द्वारा किए गए रिपोर्टिंग कार्य लोकहित में थे और किसी भी तरह की आपराधिक मंशा नहीं थी। इसलिए एफआईआर को निरस्त किया जाना चाहिए।
हाईकोर्ट के इस आदेश से पत्रकारों को अस्थायी राहत मिली है और मीडिया जगत में इसे न्याय की जीत के रूप में देखा जा रहा है। विश्लेषकों का कहना है कि यह कदम प्रेस की स्वतंत्रता और पत्रकारों के संरक्षण की दिशा में महत्वपूर्ण है।
अब मामले की अगली सुनवाई तय की जाएगी, जिसमें कोर्ट यह तय करेगा कि लुधियाना में दर्ज एफआईआर को पूरी तरह रद्द किया जाए या नहीं। फिलहाल, अंजना ओम कश्यप और अन्य पत्रकार कानूनी कार्रवाई से सुरक्षित हैं और कोर्ट की निगरानी में स्थिति नियंत्रित रहेगी।
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