कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने राज्य में होने वाली सामाजिक-आर्थिक और शैक्षिक सर्वेक्षण (जाति जनगणना) का बचाव करते हुए भाजपा के विरोध को पूरी तरह राजनीतिक बताया है। यह सर्वे 22 सितंबर से 7 अक्टूबर तक किया जाएगा।
सिद्धारमैया ने कहा कि इस जनगणना का उद्देश्य समाज के सभी वर्गों की वास्तविक सामाजिक, आर्थिक और शैक्षिक स्थिति को समझना है। उनके अनुसार, आंकड़े इकट्ठा करने से सरकार को नीतियां बनाने और संसाधनों का सही वितरण करने में मदद मिलेगी। उन्होंने कहा कि विपक्षी दल भाजपा इस मुद्दे को केवल राजनीति का साधन बना रही है और वास्तविक तथ्यों से ध्यान भटकाने की कोशिश कर रही है।
मुख्यमंत्री ने स्पष्ट किया कि यह सर्वे किसी भी वर्ग या समुदाय के खिलाफ नहीं है, बल्कि यह समाज के कमजोर और उपेक्षित वर्गों को पहचानने तथा उन्हें योजनाओं का लाभ पहुंचाने के लिए आवश्यक है। उन्होंने भाजपा पर आरोप लगाया कि वह सामाजिक न्याय और समान अवसरों के पक्ष में खड़े होने के बजाय लोगों को गुमराह करने का प्रयास कर रही है।
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दूसरी ओर, भाजपा ने इस सर्वे को “त्रुटिपूर्ण और समाज को विभाजित करने वाला कदम” करार दिया है। पार्टी नेताओं का कहना है कि कांग्रेस सरकार यह प्रक्रिया केवल वोट बैंक की राजनीति को ध्यान में रखकर कर रही है।
सिद्धारमैया ने विपक्ष की इस आलोचना को खारिज करते हुए कहा कि कांग्रेस सरकार जनता के लिए काम कर रही है और यह सर्वे लोकतंत्र में समानता और न्याय की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है। उन्होंने जनता से इसमें सहयोग करने की अपील भी की।
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