कर्नाटक में सत्ता हस्तांतरण को लेकर चल रहा विवाद एक बार फिर तेज हो गया है। मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने संकेत दिया है कि यदि पार्टी शीर्ष नेतृत्व निर्णय लेता है, तो वे मुख्यमंत्री पद छोड़ने के लिए तैयार हैं और डीके शिवकुमार को पद सौंपा जा सकता है। यह मुद्दा 2023 विधानसभा चुनाव के बाद कथित रूप से किए गए उस समझौते से जुड़ा है, जिसके अनुसार दोनों नेताओं को ढाई-ढाई साल के लिए मुख्यमंत्री पद साझा करना था।
मंगलवार को सिद्धारमैया और उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार ने ‘पावर ब्रेकफास्ट’ मीटिंग की, जिसमें दोनों नेताओं ने आगे की रणनीति पर चर्चा की। हालांकि बैठक सामान्य दिखाई दी, लेकिन इसके राजनीतिक मायने बड़े हैं। सिद्धारमैया ने कहा कि अंतिम फैसला राहुल गांधी, सोनिया गांधी, प्रियंका गांधी वाड्रा और मल्लिकार्जुन खड़गे लेंगे और दोनों नेता इसे स्वीकार करेंगे।
सूत्रों के अनुसार, दोनों नेताओं को 8 दिसंबर को दिल्ली बुलाया जा सकता है, जहां सत्ता हस्तांतरण पर अंतिम बातचीत होगी। इससे पहले वे मंगलुरु में एक कार्यक्रम में एक साथ मंच साझा करेंगे।
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दोनों के बीच यह टकराव तीन साल से जारी है, जिसने राज्य में कांग्रेस सरकार की स्थिरता पर सवाल खड़ा किया है। शिवकुमार का गुट चाहता है कि पद तुरंत सौंपा जाए, जबकि सिद्धारमैया इसे कार्यकाल के अंत तक ले जाना चाहते हैं। सिद्धारमैया का कहना है कि अगर वे पूरा कार्यकाल पूरा करते हैं और 2028 चुनाव में शिवकुमार का समर्थन करते हैं, तो अहिंदा और वोक्कालिगा—दोनों बड़ी वोट बैंक—कांग्रेस के साथ मजबूत रूप से जुड़ सकते हैं।
खड़गे ने भी इस बार स्पष्ट किया है कि जो वादा किया गया था, उसे निभाया जाना चाहिए। वहीं भाजपा इस पूरे घटनाक्रम पर नजर बनाए हुए है, लेकिन वर्तमान में उसके पास सरकार को अस्थिर करने के लिए आवश्यक संख्याबल नहीं है।
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