ठाणे की एक विशेष MCOCA अदालत ने 2019 में दर्ज केबल चोरी और डकैती के मामले में सभी सात आरोपियों को बरी कर दिया। अदालत ने कहा कि अभियोजन पक्ष आरोपियों की पहचान, उनकी कथित भूमिका तथा MCOCA के तहत अपराध के आवश्यक तत्व साबित करने में पूरी तरह विफल रहा।
विशेष MCOCA न्यायाधीश वी.जी. मोहिटे ने 26 नवंबर 2025 को अपने आदेश में कहा कि पहचान से लेकर बरामदगी तक पूरी साक्ष्य श्रृंखला कानूनी और प्रक्रियात्मक खामियों से ग्रस्त थी। अदालत ने आरोपियों को आई.पी.सी. और MCOCA दोनों के तहत लगे सभी आरोपों से मुक्त कर दिया।
अभियोजन पक्ष के अनुसार, 18 जुलाई 2019 को ठाणे के भिवंडी क्षेत्र के मानकोली स्थित एक केबल कंपनी के गोदाम में आठ अज्ञात लोगों ने घुसकर 64 बंडल पॉलीकाब केबल, ₹6.77 लाख नकदी और एक ड्राइविंग लाइसेंस लूट लिया था। आरोप था कि घुसपैठियों ने दीवार में छेद कर और ताले तोड़कर प्रवेश किया था। बाद में पुलिस ने सात लोगों को गिरफ्तार किया।
और पढ़ें: ग्रेटर नोएडा में शादी के जुलूस में हर्ष फ़ायरिंग, 10 वर्षीय बच्चा गोली लगने से घायल
हालांकि अदालत ने पाया कि मुख्य प्रत्यक्षदर्शियों के बयान विरोधाभासी हैं और कानूनी प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया। कल्याण स्थित आधारवाड़ी जेल में की गई पहचान परेड को भी अदालत ने अविश्वसनीय माना। अदालत ने कहा कि गवाहों ने आरोपियों को पुलिस स्टेशन में देखने के बाद पहचान किया, जिससे उनकी विश्वसनीयता संदिग्ध हो गई।
अदालत ने उन बरामदगियों को भी खारिज कर दिया जिनमें केबल बंडल, डंडे, चाकू और टेंपो शामिल थे। अदालत के अनुसार, बरामदगी खुले स्थानों से हुई, गवाहों के बयान मेल नहीं खाते और पुलिस के दावों का कोई पुष्ट प्रमाण नहीं था।
अभियोजन द्वारा प्रस्तुत कॉल डिटेल रिकॉर्ड भी अदालत में टिक नहीं पाए। अदालत ने कहा कि केवल कॉल रिकॉर्ड से किसी का अपराध सिद्ध नहीं किया जा सकता। साथ ही “सतत अवैध गतिविधि” और “संगठित अपराध” जैसे MCOCA के आवश्यक तत्व भी साबित नहीं हो सके।
बरी किए गए आरोपियों में बैतुल्ला रूआबली चौधरी, कबीर उस्मान शेख, स्वप्निल उर्फ गोट्या पंचाल, बबलू विश्वकर्मा, पुरन उर्फ कांचा सोनार, दीपक जगत विश्वकर्मा और जमील माजिद खान शामिल हैं।
और पढ़ें: तमिलनाडु में सनसनीखेज वारदात: पति ने पत्नी की हत्या कर ली सेल्फी, व्हाट्सऐप स्टेटस पर लगाया