कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सचिन पायलट ने शुक्रवार (26 दिसंबर 2025) को चेतावनी दी कि केंद्र सरकार द्वारा अरावली पर्वतमाला की नई परिभाषा तय किए जाने से इसके लगभग 90% हिस्से को कानूनी संरक्षण से बाहर किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि ऐसा होने पर गंभीर पर्यावरणीय संकट पैदा होगा और थार मरुस्थल का विस्तार दिल्ली तक हो सकता है।
सचिन पायलट जयपुर में नेशनल स्टूडेंट्स यूनियन ऑफ इंडिया (NSUI) की ओर से आयोजित ‘सेव अरावली – सेव द फ्यूचर’ मार्च में शामिल हुए। इस मौके पर उनके साथ उनका बेटा भी मौजूद था, जिसने पहली बार किसी राजनीतिक मंच पर सार्वजनिक उपस्थिति दर्ज कराई। मार्च के दौरान पायलट ने केंद्र सरकार की नीतियों की आलोचना करते हुए कहा कि अरावली केवल पहाड़ियों की श्रृंखला नहीं है, बल्कि उत्तर भारत के पर्यावरण संतुलन की रीढ़ है।
उन्होंने कहा कि अरावली पर्वतमाला वायु प्रदूषण के खिलाफ एक प्राकृतिक ढाल की तरह काम करती है, भूजल संरक्षण में अहम भूमिका निभाती है और जैव विविधता को बनाए रखने में सहायक है। यदि इन पहाड़ियों को अवैध खनन, निर्माण गतिविधियों और नीति स्तर पर संरक्षण खत्म होने के कारण नष्ट किया गया, तो इसके दूरगामी परिणाम होंगे।
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सचिन पायलट ने आगाह किया कि अरावली के कमजोर पड़ने से रेगिस्तान का विस्तार तेज़ हो सकता है, जिससे न केवल राजस्थान बल्कि हरियाणा, दिल्ली और पश्चिमी उत्तर प्रदेश जैसे इलाकों में भी पर्यावरणीय असंतुलन बढ़ेगा। उन्होंने कहा, “अगर अरावली को बचाया नहीं गया, तो थार का रेगिस्तान दिल्ली तक पहुंच सकता है।”
उन्होंने केंद्र सरकार से अपील की कि वह अरावली की नई परिभाषा पर पुनर्विचार करे और पहाड़ियों को पूर्ण संरक्षण प्रदान करे, ताकि आने वाली पीढ़ियों के लिए पर्यावरण सुरक्षित रखा जा सके।
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