संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि रूस की युद्ध गतिविधियों के प्रमुख वित्तपोषक भारत और चीन हैं। उन्होंने विशेष रूप से भारत पर निशाना साधते हुए कहा कि रूस से तेल आयात करने की वजह से यह युद्ध जारी रखने में मदद कर रहा है।
ट्रंप ने अपने संबोधन में यह भी दावा किया कि उन्होंने मई में भारत और पाकिस्तान के बीच चल रहे तनाव को समाप्त किया था। उन्होंने कहा कि उनके प्रयासों की वजह से दोनों देशों के बीच विवादों में कमी आई और क्षेत्र में स्थिरता स्थापित हुई।
अपने भाषण में ट्रंप ने वैश्विक नेताओं से अपील की कि वे रूस पर दबाव डालें और युद्ध को जल्द समाप्त करने के उपाय करें। उन्होंने कहा कि रूस की सैन्य गतिविधियों को वित्तीय रूप से समर्थन देने वाले देश युद्ध को लंबा खींच रहे हैं, और इसे रोकने के लिए अंतरराष्ट्रीय समुदाय को सक्रिय कदम उठाने होंगे।
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विशेषज्ञों का मानना है कि ट्रंप के बयान ने भारत-यूएस संबंधों में संवेदनशीलता पैदा की है। भारत ने इस तरह के आरोपों पर पहले भी प्रतिक्रिया दी है और स्पष्ट किया है कि उसका रूस से तेल आयात केवल आर्थिक जरूरतों और ऊर्जा सुरक्षा के कारण है, और यह युद्ध को बढ़ावा देने का संकेत नहीं है।
ट्रंप का यह भाषण उनके रुढ़िवादी वैश्विक रुख और सुरक्षा पर केंद्रित नीतियों का हिस्सा माना जा रहा है। उन्होंने कई बार अंतरराष्ट्रीय मंचों पर यह मुद्दा उठाया है कि युद्ध को रोकने और वैश्विक शांति बनाए रखने के लिए बड़े देशों को अपनी जिम्मेदारी निभानी होगी।
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