अमेरिकी फेडरल रिज़र्व (US Fed) ने आखिरकार ब्याज दरों में कटौती की है। यह कदम अमेरिकी अर्थव्यवस्था में स्थिरता लाने और आर्थिक विकास को गति देने के उद्देश्य से उठाया गया है। ब्याज दर में यह पहला बड़ा बदलाव इस बात का संकेत देता है कि ट्रंप प्रशासन का राजनीतिक प्रभाव अब मौद्रिक नीति पर भी दिखने लगा है।
फेडरल रिज़र्व के सामने कई चुनौतियां हैं। सबसे बड़ी चुनौती है रोजगार और मुद्रास्फीति (Inflation) को संतुलित करना। हाल के रोजगार और महंगाई के आंकड़ों ने यह दिखाया कि अमेरिकी अर्थव्यवस्था में सुधार की दर धीमी है। इसी बीच, राजनीतिक दबाव भी फेड पर महसूस किया जा रहा है, क्योंकि ट्रंप प्रशासन ने बार-बार केंद्रीय बैंक से दरों में कटौती की मांग की थी।
विशेषज्ञों का मानना है कि फेड की यह दर कटौती वैश्विक वित्तीय बाजारों के लिए भी महत्वपूर्ण है। अमेरिका की अर्थव्यवस्था दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है, और यहां के मौद्रिक फैसले वैश्विक निवेशकों और अंतरराष्ट्रीय बाजारों को प्रभावित करते हैं। दरों में कटौती से उधारी सस्ती होगी, जिससे व्यवसायों और उपभोक्ताओं के लिए ऋण और निवेश के अवसर बढ़ सकते हैं।
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हालांकि, फेड ने यह भी स्पष्ट किया है कि यह कदम केवल आर्थिक स्थिरता के लिए लिया गया है और किसी भी राजनीतिक दबाव में त्वरित निर्णय नहीं लिया गया। अमेरिकी अर्थव्यवस्था को “नरम लैंडिंग” (Gentle Landing) के लिए फेड लगातार संतुलन बनाए रखने का प्रयास कर रहा है।
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