नाइजीरिया में आतंकियों को निशाना बनाकर किए गए अमेरिकी हवाई हमलों के बाद यह अब भी स्पष्ट नहीं हो पाया है कि वास्तव में किन समूहों या ठिकानों पर हमला हुआ। वॉशिंगटन और अबुजा की ओर से दिए गए बयानों में अंतर होने के कारण स्थिति और जटिल हो गई है। दोनों देश इस बात पर सहमत हैं कि हमले इस्लामिक स्टेट (आईएस) से जुड़े ठिकानों पर किए गए, लेकिन यह नहीं बताया गया कि नाइजीरिया के कई सशस्त्र समूहों में से किसे निशाना बनाया गया।
मामले को और उलझाने वाली बात यह है कि इन हमलों को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कथित तौर पर क्रिसमस के प्रतीकात्मक दिन पर करने के लिए टाल दिया था। इसके अलावा, आरोप है कि अमेरिका ने नाइजीरिया के साथ संयुक्त बयान जारी करने से पीछे हटने का फैसला किया।
सक्रिय कार्यकर्ता और पूर्व राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार ओमोयेले सोवोरे ने कहा कि बमबारी के 24 घंटे बाद भी न तो नाइजीरिया और न ही उसके “अंतरराष्ट्रीय साझेदार” यह स्पष्ट जानकारी दे पाए हैं कि आखिर किन ठिकानों को निशाना बनाया गया। नाइजीरिया कई जिहादी संगठनों से जूझ रहा है, जिनमें से कई इस्लामिक स्टेट से जुड़े हैं।
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नाइजीरिया के सूचना मंत्री मोहम्मद इदरीस ने कहा कि ये हमले साहेल क्षेत्र से नाइजीरिया में घुसपैठ की कोशिश कर रहे आईएस तत्वों के खिलाफ थे। वहीं राष्ट्रपति बोला टीनूबू के सलाहकार डैनियल ब्वाला ने इस्लामिक स्टेट, लाकुरावा नामक एक सशस्त्र समूह या उत्तर-पश्चिमी नाइजीरिया में सक्रिय “डाकुओं” को संभावित लक्ष्य बताया।
हमलों के बाद राष्ट्रपति ट्रंप ने सोशल मीडिया पर इसका श्रेय लिया, जिससे नाइजीरिया में संप्रभुता के उल्लंघन की आशंकाएं जताई गईं। बाद में नाइजीरिया के विदेश मंत्री यूसुफ तुग्गर ने कहा कि यह एक संयुक्त अभियान था और इसमें नाइजीरिया की खुफिया जानकारी का इस्तेमाल किया गया।
सूचना मंत्री के अनुसार, सोकोतो राज्य के तंगाज़ा ज़िले में आईएस के दो बड़े ठिकानों को निशाना बनाया गया, जबकि आसपास के कुछ गांव मलबे की चपेट में आ गए। हालांकि किसी नागरिक के हताहत होने की सूचना नहीं है। दोनों देशों ने संकेत दिए हैं कि आगे और हमले भी किए जा सकते हैं।
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