49वें कोलकाता अंतरराष्ट्रीय पुस्तक मेले 2026 में बांग्लादेश के प्रकाशकों की भागीदारी को लेकर अनिश्चितता बनी हुई है। आयोजकों का कहना है कि विदेश मंत्रालय (एमईए) से आवश्यक मंजूरी न मिलने के कारण फिलहाल बांग्लादेशी प्रकाशकों को स्टॉल आवंटित नहीं किए जा सकते। यह स्थिति तब सामने आई है जब बांग्लादेश 2025 के संस्करण में भी हिस्सा नहीं ले पाया था, जबकि पिछले 49 वर्षों के इतिहास में वह मेले के सबसे नियमित और महत्वपूर्ण प्रतिभागियों में से एक रहा है।
पब्लिशर्स एंड बुकसेलर्स गिल्ड के महासचिव त्रिदिब चटर्जी ने शनिवार (27 दिसंबर, 2025) को बताया कि जब तक भारत सरकार से स्पष्ट हरी झंडी नहीं मिलती, तब तक बांग्लादेश के प्रकाशकों को न तो आमंत्रण दिया जा सकता है और न ही स्टॉल आवंटित किए जा सकते हैं। उन्होंने कहा कि पिछले वर्ष भी बांग्लादेशी प्रकाशकों को स्टॉल नहीं मिल पाए थे।
चटर्जी के अनुसार, बांग्लादेश में मौजूदा राजनीतिक और सामाजिक स्थिति संवेदनशील और अस्थिर बनी हुई है। इसी कारण आयोजक किसी भी तरह का जोखिम नहीं लेना चाहते। उन्होंने स्पष्ट किया कि यह फैसला पूरी तरह से भारत सरकार की मंजूरी पर निर्भर है और गिल्ड अपने स्तर पर कोई निर्णय नहीं ले सकती।
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कोलकाता अंतरराष्ट्रीय पुस्तक मेला न केवल भारत, बल्कि दक्षिण एशिया का सबसे बड़ा साहित्यिक और सांस्कृतिक आयोजन माना जाता है। इसमें बांग्लादेश की भागीदारी हमेशा से विशेष महत्व रखती रही है, क्योंकि दोनों देशों के बीच भाषा, साहित्य और सांस्कृतिक संबंध गहरे हैं।
हालांकि, लगातार दूसरे वर्ष बांग्लादेश की संभावित अनुपस्थिति से साहित्यिक जगत में निराशा देखी जा रही है। प्रकाशकों और पाठकों का मानना है कि राजनीतिक और प्रशासनिक कारणों से सांस्कृतिक आदान-प्रदान प्रभावित होना दुर्भाग्यपूर्ण है। अब सबकी नजरें भारत सरकार के निर्णय और एमईए की मंजूरी पर टिकी हुई हैं, जिससे यह तय होगा कि 2026 के मेले में बांग्लादेश की मौजूदगी होगी या नहीं।
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