उत्तराखंड हाईकोर्ट ने ONGC (Oil and Natural Gas Corporation) में ठेकेदार कर्मचारियों की भर्ती पर 31 साल पुरानी रोक को हटा दिया है। इस फैसले से कंपनियों को ठेके पर कर्मचारियों को नियुक्त करने की अनुमति मिल गई है, जो लंबे समय से प्रतिबंधित था।
केंद्र सरकार ने कहा कि यह अधिसूचना सभी कानूनी प्रक्रियाओं और नियमों के अनुसार जारी की गई थी। हालांकि, कोर्ट ने पाया कि इस निर्णय के पीछे उचित परामर्श और पर्याप्त समीक्षा नहीं की गई थी। अदालत ने कहा कि निर्णय में सटीक तथ्यों का अभाव था और इसलिए इसे चुनौती दी जा सकती है।
कोर्ट ने यह भी उल्लेख किया कि ऐसे महत्वपूर्ण निर्णयों के लिए व्यापक विचार और विभिन्न पक्षों की राय आवश्यक होती है। ONGC में ठेकेदार कर्मचारियों की भर्ती पर लंबे समय से विवाद चल रहा था। अदालत ने केंद्र और ONGC दोनों को निर्देश दिए कि वे भविष्य में कर्मचारियों की भर्ती के मामले में पारदर्शिता और उचित प्रक्रिया अपनाएं।
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विशेषज्ञों का कहना है कि हाईकोर्ट का यह फैसला औद्योगिक कर्मचारियों और रोजगार नीति के दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है। इससे न केवल कंपनियों को संचालन में लचीलापन मिलेगा, बल्कि योग्य उम्मीदवारों को रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे।
यह फैसला ONGC जैसे सार्वजनिक क्षेत्र के संगठनों में ठेकेदार और नियमित कर्मचारियों के बीच संतुलन बनाए रखने की दिशा में एक नया मार्गदर्शन भी प्रदान करता है। अदालत ने स्पष्ट किया कि रोजगार नीति और कानूनी प्रक्रिया का पालन सभी स्तरों पर अनिवार्य है।
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