आंध्र प्रदेश में अवैध अंग तस्करी के सबसे बड़े नेटवर्क का पर्दाफाश तब हुआ जब विशाखापट्टनम की 29 वर्षीय महिला बी. यमुना की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई। यमुना, जो अपने पति से अलग रह रही थीं, अपने मां-बाप के साथ रहती थीं और माधुरवाड़ा में एक किराना दुकान में काम करती थीं। नवंबर 2025 की शुरुआत में वह दोस्तों के साथ अराकू वैली घूमने की बात कहकर घर से निकली थीं।
लेकिन 11 नवंबर को उनके परिवार की जिंदगी तब बदल गई जब उनके भाई नागेंद्र को एक अज्ञात नंबर से फोन आया कि यमुना की तिरुपति के एक अस्पताल में मृत्यु हो गई है और तुरंत उनका शव ले जाने को कहा गया। पहले तो नागेंद्र को इस पर विश्वास नहीं हुआ, लेकिन दोबारा कॉल करने पर भी यही जानकारी मिली।
इस घटना ने पुलिस और एजेंसियों को चौंका दिया, क्योंकि प्रारंभिक जांच से पता चला कि यमुना का संपर्क एक गिरोह से हुआ था जो गरीब और कमजोर पृष्ठभूमि के लोगों को निशाना बनाकर अवैध रूप से अंग निकालने में शामिल था। यह नेटवर्क कथित रूप से मदनपल्ले स्थित ग्लोबल मल्टी-स्पेशियलिटी हॉस्पिटल से संचालित हो रहा था, जहां कई संदिग्ध गतिविधियों के सुराग मिले।
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जांचकर्ताओं के अनुसार, यह रैकेट आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को पैसे और रोजगार का लालच देकर फंसाता था। यमुना भी इसी जाल में फँसी थीं, और उनके गायब होने के कुछ दिनों बाद उनकी संदिग्ध मौत ने पूरे मामले को उजागर कर दिया। पुलिस ने अस्पताल के स्टाफ और संबंधित बिचौलियों को पूछताछ के लिए हिरासत में लिया है।
यह मामला न केवल अवैध अंग व्यापार की गंभीरता को दिखाता है, बल्कि यह भी उजागर करता है कि किस तरह गरीब परिवार ऐसे रैकेट का आसान शिकार बन जाते हैं। राज्य सरकार ने विशेष जांच दल (SIT) गठित कर व्यापक स्तर पर जांच के आदेश दिए हैं।
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