जापान ने फुकुशिमा आपदा के बाद पहली बार दुनिया के सबसे बड़े परमाणु संयंत्र को पुनः शुरू करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाया है। स्थानीय अधिकारियों ने शुक्रवार (21 नवंबर 2025) को काशीवाज़ाकी-कारीवा परमाणु संयंत्र के फिर से शुरू होने को मंजूरी दे दी। यह संयंत्र निगाता प्रांत में स्थित है, जहां के गवर्नर हिदेयो हानाजुमी ने प्रेस सम्मेलन में घोषणा की कि वे संयंत्र के संचालन को मंजूरी देंगे। हालांकि, अंतिम निर्णय जापान के परमाणु नियामक प्राधिकरण को लेना होगा।
फुकुशिमा में 2011 में आए भीषण भूकंप और सुनामी के बाद, जिसने करीब 18,000 लोगों की जान ली और तीन रिएक्टरों को मेल्टडाउन का शिकार बनाया, जापान ने सभी परमाणु संयंत्र बंद कर दिए थे। इसके चलते देश की ऊर्जा जरूरतें पूरी करने के लिए जापान ने अत्यधिक मात्रा में जीवाश्म ईंधनों पर निर्भरता बढ़ा दी।
अब संसाधनों की कमी से जूझ रहे जापान ने घोषणा की है कि वह परमाणु ऊर्जा को पुनर्जीवित करना चाहता है, ताकि जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता कम की जा सके, 2050 तक कार्बन तटस्थता के लक्ष्य को प्राप्त किया जा सके और कृत्रिम बुद्धिमत्ता से बढ़ती ऊर्जा मांगों को पूरा किया जा सके।
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फुकुशिमा आपदा के बाद लगाए गए कड़े सुरक्षा मानकों के तहत अब तक 14 रिएक्टर दोबारा शुरू हो चुके हैं। काशीवाज़ाकी-कारीवा संयंत्र, जो लगभग 400 हेक्टेयर क्षेत्र में फैला है, TEPCO का वह पहला संयंत्र होगा जिसे आपदा के बाद फिर से चलाया जाएगा। इस संयंत्र में 15 मीटर ऊँची सुनामी-रोधी दीवार, ऊँची जगह पर बैकअप पावर सिस्टम और अन्य सुरक्षा उपाय लगाए गए हैं।
जापान दुनिया का पाँचवाँ सबसे बड़ा कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जक देश है और 2023 में उसकी ऊर्जा जरूरतों का लगभग 70% हिस्सा कोयला, गैस और तेल से पूरा किया गया। देश इन जीवाश्म ईंधनों को लगभग 500 मिलियन डॉलर प्रतिदिन की लागत पर आयात करता है। जापान ने जून 2025 में एक कानून पारित कर परमाणु रिएक्टरों की आयु 60 वर्ष से आगे बढ़ाने की अनुमति भी दी है।
सरकार का लक्ष्य 2040 तक नवीकरणीय ऊर्जा को देश का प्रमुख स्रोत बनाना है, जबकि परमाणु ऊर्जा का हिस्सा बढ़ाकर 20% करना है, जो 2022 में मात्र 5.6% था।
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