सुप्रीम कोर्ट ने भारत और पाकिस्तान के बीच होने वाले एशिया कप मुकाबले पर रोक लगाने की मांग वाली याचिका को तत्काल सूचीबद्ध करने से इनकार कर दिया। याचिकाकर्ता का तर्क था कि पहलगाम आतंकी हमले और हाल ही में हुई ‘ऑपरेशन सिंदूर’ की घटनाओं के बाद इस तरह का मैच कराना “राष्ट्रीय हितों के खिलाफ” है।
मुख्य न्यायाधीश की पीठ ने कहा कि खेल और राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दों को मिलाना उचित नहीं है। अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि ऐसे मामलों में सरकार और संबंधित खेल प्राधिकरण ही उपयुक्त निर्णय लेने के लिए जिम्मेदार हैं। कोर्ट ने कहा कि न्यायालय इस मामले में हस्तक्षेप नहीं करेगा और फिलहाल मैच को निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार ही आयोजित किया जाएगा।
याचिकाकर्ता ने अपनी अपील में कहा था कि इस मैच से आतंकियों और शत्रु देशों को गलत संदेश जाएगा और शहीदों की शहादत का अपमान होगा। इसके जवाब में अदालत ने कहा कि भावनात्मक तर्कों के आधार पर किसी अंतरराष्ट्रीय खेल आयोजन को रोकना उचित नहीं है।
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कानूनी विशेषज्ञों का मानना है कि सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला भारत में खेल और राजनीति को अलग रखने की परंपरा को मजबूत करता है। वहीं, खेल प्रेमियों और खिलाड़ियों ने राहत की सांस ली है कि मैच नियोजित समय पर होगा।
इस फैसले ने यह संदेश दिया है कि न्यायालय राष्ट्रीय हितों का सम्मान करता है, लेकिन खेलों को राष्ट्रीय एकता और अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारत की पहचान के रूप में देखता है।
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