साल 2025 वैश्विक क्रिप्टोकरेंसी उद्योग के लिए बेहद उतार-चढ़ाव भरा रहा। इस वर्ष बिटकॉइन ने 1,26,198 अमेरिकी डॉलर का अब तक का सबसे ऊंचा स्तर छुआ, लेकिन साल के अंत तक इसमें तेज गिरावट देखने को मिली। यह गिरावट ऐसे समय आई जब उद्योग अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की आर्थिक नीतियों के प्रभावों से जूझ रहा था।
चाहे आप वैश्विक ब्लॉकचेन सेक्टर पर नजर रख रहे हों या भारत के अपने विवादों से भरे क्रिप्टो इकोसिस्टम को देख रहे हों, 2025 अभूतपूर्व ऊंचाइयों का साल रहा, जिसे बाद में वैश्विक घटनाओं और तकनीकी कारणों ने जमीन पर ला दिया। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के दूसरे कार्यकाल के पहले वर्ष के दौरान अमेरिका में नई क्रिप्टो नियमावली लागू की गई, जबकि कुछ पुराने नियमों में ढील भी दी गई। इन बदलावों का असर दुनिया भर के क्रिप्टो बाजारों में साफ तौर पर देखने को मिला।
साल की शुरुआत में बिटकॉइन और अन्य प्रमुख डिजिटल एसेट्स में जबरदस्त तेजी देखी गई, जिससे निवेशकों का भरोसा बढ़ा। हालांकि, जैसे-जैसे वर्ष आगे बढ़ा, कड़े और ढीले नियमों के मिश्रित प्रभाव, वैश्विक आर्थिक अनिश्चितता और तकनीकी कमजोरियों ने बाजार में अस्थिरता पैदा की। स्टेबलकॉइन को लेकर नए नियमों ने भुगतान प्रणालियों और एक्सचेंजों के कामकाज को प्रभावित किया, जिससे कुछ निवेशकों में चिंता भी बढ़ी।
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इसके अलावा, 2025 में क्रिप्टो जगत को कई बड़े साइबर हमलों का भी सामना करना पड़ा। नॉर्थ कोरिया से जुड़े हैकिंग समूहों पर कई हाई-प्रोफाइल क्रिप्टो हमलों के आरोप लगे, जिससे अरबों डॉलर के डिजिटल एसेट्स पर खतरा मंडराया। इन घटनाओं ने साइबर सुरक्षा और नियामकीय निगरानी की जरूरत को और उजागर किया।
कुल मिलाकर, 2025 क्रिप्टो उद्योग के लिए सबक से भरा साल रहा—जहां रिकॉर्ड तोड़ तेजी, सख्त और नरम नियमों का मेल, और साइबर खतरों ने मिलकर बाजार की दिशा तय की।
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