NISAR (NASA-ISRO Synthetic Aperture Radar) सैटेलाइट, अमेरिका की NASA और भारत की ISRO द्वारा संयुक्त रूप से विकसित किया गया एक अत्याधुनिक पृथ्वी-अवलोकन उपग्रह है, जो कई मायनों में विशेष और ऐतिहासिक है। करीब एक दशक से इसका निर्माण चल रहा था और इसकी लागत $1.5 बिलियन (लगभग ₹12,500 करोड़) से अधिक है, जिससे यह अब तक के सबसे महंगे पृथ्वी-अवलोकन उपग्रहों में शामिल हो गया है।
यह तीन टन वजनी सैटेलाइट पृथ्वी की सतह पर होने वाले परिवर्तन जैसे कि भूकंप, भूस्खलन, हिमखंडों की गति, वनस्पति में बदलाव और समुद्री सतह की गतिविधियों की निगरानी करेगा। NISAR का उद्देश्य वैश्विक पर्यावरणीय संकटों, जलवायु परिवर्तन और प्राकृतिक आपदाओं की समयपूर्व चेतावनी देने के लिए वैज्ञानिकों को सटीक और विस्तृत डेटा उपलब्ध कराना है।
इस सैटेलाइट की सबसे खास बात यह है कि इसमें दो प्रकार के रडार सिस्टम (L-बैंड और S-बैंड) का उपयोग किया गया है, जिससे यह किसी भी मौसम या दिन-रात की स्थिति में पृथ्वी की सतह की उच्च गुणवत्ता वाली इमेजिंग कर सकता है।
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NISAR, भारत और अमेरिका के बीच वैज्ञानिक सहयोग का एक बड़ा प्रतीक है। यह मिशन न केवल पर्यावरण और जलवायु विज्ञान में मदद करेगा, बल्कि अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी में भारत की बढ़ती भूमिका को भी दर्शाता है।
यह उपग्रह 2024 के अंत या 2025 की शुरुआत में लॉन्च किया जा सकता है और यह पृथ्वी विज्ञान के क्षेत्र में एक नया अध्याय खोलने की तैयारी में है।
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