चीनी स्वामित्व वाली डच सेमीकंडक्टर कंपनी नेक्सपेरिया (Nexperia) को लेकर जारी शक्ति संघर्ष ने वैश्विक ऑटोमोबाइल उद्योग में भारी संकट पैदा कर दिया है। इस विवाद के चलते सेमीकंडक्टर आपूर्ति श्रृंखला बाधित हो गई है, जिससे कई कार निर्माता कंपनियों को उत्पादन रोकना पड़ा है।
नेक्सपेरिया, जो साधारण चिप जैसे स्विच और लॉजिक चिप बनाती है, होंडा, फोर्ड, जनरल मोटर्स, निसान और मर्सिडीज-बेंज जैसी बड़ी कंपनियों को आपूर्ति करती है। होंडा को अपने मेक्सिको प्लांट में लोकप्रिय एचआर-वी मॉडल का उत्पादन रोकना पड़ा।
यह संकट तब शुरू हुआ जब नीदरलैंड सरकार ने अक्टूबर में द्वितीय विश्व युद्ध के समय के एक पुराने कानून के तहत राष्ट्रीय सुरक्षा कारणों से नेक्सपेरिया पर नियंत्रण कर लिया। डच मंत्रालय ने कंपनी के “गंभीर प्रबंधन खामियों” का हवाला देते हुए कार्रवाई की और उसके चीनी सीईओ झांग ज़ुएझेंग को हटा दिया।
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इसके बाद चीन ने नाराज होकर अपने डोंगगुआन स्थित प्लांट से चिप्स के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया, जिससे वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में उथल-पुथल मच गई। हालांकि, अमेरिका और चीन के बीच हालिया बातचीत के बाद उम्मीद जगी है कि निर्यात दोबारा शुरू हो सकता है।
नेक्सपेरिया का मुख्यालय नीदरलैंड के नाइमेगन शहर में है और कंपनी की फैक्ट्रियां ब्रिटेन, जर्मनी, चीन, फिलीपींस और मलेशिया में हैं। विश्लेषकों के अनुसार, कंपनी का बाजार में केवल 5% हिस्सा है, लेकिन चिप की मात्रा में इसका योगदान बहुत अधिक है।
विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि यदि स्थिति जल्द नहीं सुधरी तो चौथी तिमाही में वैश्विक ऑटो उत्पादन में भारी गिरावट हो सकती है।
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