मारुति सुजुकी इंडिया ने देश में इलेक्ट्रिक वाहन (ईवी) इकोसिस्टम को मजबूत करने के उद्देश्य से अगले कुछ वर्षों में बैटरी और अन्य अहम ईवी पुर्जों के स्थानीयकरण की योजना की घोषणा की है। कंपनी के सीनियर एग्जीक्यूटिव ऑफिसर (मार्केटिंग एंड सेल्स) पार्थो बनर्जी ने बताया कि फिलहाल बैटरियां आयात की जा रही हैं, लेकिन चरणबद्ध तरीके से इनके स्थानीय उत्पादन की योजना पूरी तरह तैयार है।
मारुति सुजुकी अगले वर्ष घरेलू बाजार में अपना पहला इलेक्ट्रिक वाहन ई-विटारा लॉन्च करने जा रही है। कंपनी का मानना है कि ईवी को लेकर उपभोक्ताओं में भरोसा पैदा करना बेहद जरूरी है, ताकि वे इसे घर की प्राथमिक कार के रूप में अपनाएं। बनर्जी ने कहा कि अभी तक भारत में ईवी की खरीद ज्यादातर दूसरी कार के तौर पर हो रही है, क्योंकि ड्राइविंग रेंज, चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर और आफ्टर-सेल्स सेवाओं को लेकर उपभोक्ताओं में आशंका बनी हुई है।
उन्होंने बताया कि सार्वजनिक चार्जिंग सुविधाओं की कमी के कारण ग्राहक पहली कार के रूप में अब भी आईसीई यानी पेट्रोल-डीजल वाहनों को प्राथमिकता दे रहे हैं। कंपनी का अनुमान है कि वित्त वर्ष 2030 तक उसके पोर्टफोलियो में पांच इलेक्ट्रिक मॉडल होंगे। उस समय कुल ऑटो इंडस्ट्री का आकार 55–60 लाख यूनिट तक पहुंच सकता है, जिसमें ईवी की हिस्सेदारी 13–15 प्रतिशत रहने का अनुमान है, हालांकि जीएसटी 2.0 के बाद बाजार का दोबारा आकलन किया जाएगा।
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मारुति सुजुकी देशभर में 1,100 शहरों में 1,500 ईवी-सक्षम वर्कशॉप स्थापित करेगी और अब तक 2,000 चार्जिंग प्वाइंट लगाए जा चुके हैं। कंपनी 2030 तक डीलर पार्टनर्स के साथ मिलकर करीब एक लाख चार्जिंग स्टेशन स्थापित करने की भी योजना बना रही है। इसके अलावा, बेहतर रीसेल वैल्यू के लिए एश्योर्ड बायबैक और सब्सक्रिप्शन स्कीम भी लाई जाएगी।
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