फिल्म तेरे इश्क में प्रेम, हिंसा और मोक्ष जैसे विषयों पर आधारित है, लेकिन निर्देशक आनंद एल राय की यह फिल्म इन सवालों के जवाब खोजते-खोजते उलझकर रह जाती है। महादेव और गंगा को समर्पित यह फिल्म बनारस के एक छोटे से पड़ाव से शुरू होती है, जहां एक पुजारी-दार्शनिक (मोहम्मद जीशान अय्यूब) प्रेम, मृत्यु और मुक्ति पर विचार रखते दिखाई देता है।
मुख्य किरदार शंकर (धनुष) और मुक्ति (कृति सैनन) प्रेम की तीव्रता दिखाने की पूरी कोशिश करते हैं, लेकिन कमजोर कहानी और अत्यधिक बोझिल पटकथा के कारण उनका अभिनय भी फिल्म को नहीं बचा पाता। समस्या यह भी है कि फिल्म पुरुष वर्चस्व, आक्रामकता और महिलाओं पर उसके प्रभाव को एकतरफा दृष्टिकोण से दिखाती है।
कहानी एक दिल्ली यूनिवर्सिटी के गुस्सैल छात्र नेता और एक वरिष्ठ नौकरशाह की शोधरत बेटी के इर्द-गिर्द घूमती है। मुक्ति यह साबित करना चाहती है कि हिंसक पुरुष सुधर सकते हैं। इसी सिद्धांत को साबित करने के लिए वह शंकर को ‘मानव परीक्षण’ का विषय बनाती है। शंकर उसकी सुंदरता और वेलेंटाइन डे के कारण तैयार हो जाता है — यही इसकी अविश्वसनीय पटकथा की शुरुआत है।
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फिल्म आकाश में उड़ते शुरू होती है, जहाँ शंकर एक उग्र और अनुशासनहीन फाइटर पायलट है। एक अनुचित उड़ान के बाद उसे काउंसलिंग के लिए भेजा जाता है, जहाँ मुक्ति उसके सामने आती है — गर्भवती, नशे में और मानसिक रूप से अस्थिर। कहानी फ्लैशबैक में दिल्ली यूनिवर्सिटी और वर्तमान में एयरफोर्स स्टेशन के बीच घूमती है।
फिल्म में शंकर का आक्रामक व्यवहार, मुक्ति की मानसिक परेशानी और दोनों के बीच असंतुलित संबंध दर्शकों को असहज कर देते हैं। गैसलाइटिंग, दोषारोपण और अनावश्यक हिंसा कहानी का हिस्सा बने रहते हैं। A.R. रहमान का संगीत ही फिल्म का एकमात्र मजबूत पहलू है, लेकिन बाकी फिल्म प्रेम कहानी के नाम पर केवल भ्रम और बोझिलपन साबित होती है।
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