निवेश की दुनिया में सोना एक ऐसा विकल्प है, जिसमें लगभग हर व्यक्ति की किसी न किसी रूप में हिस्सेदारी होती है—चाहे वह भौतिक रूप में हो या वित्तीय। लेकिन यही बात चांदी के लिए उतनी लागू नहीं होती। अक्सर निवेशक केवल सोने में ही ध्यान केंद्रित करते हैं, जबकि चांदी को नजरअंदाज कर देते हैं।
विशेषज्ञों का कहना है कि सोने और चांदी, दोनों में निवेश करने से निवेशकों के मन में होने वाले regret aversion यानी “गलत चुनाव कर बैठने का डर” कम हो सकता है। अगर आप एक साथ दोनों में निवेश करते हैं, तो यह आपके पोर्टफोलियो को उतना ही सुरक्षित रख सकता है जितना केवल एक धातु में पूरी राशि लगाना। दूसरे शब्दों में, सोना और चांदी दोनों में निवेश करना किसी भी तरह से आपके वित्तीय प्रदर्शन को नुकसान नहीं पहुंचाता।
गोल्ड और सिल्वर ETF (Exchange Traded Funds) के जरिए निवेश करना एक स्मार्ट तरीका हो सकता है, क्योंकि यह दोनों धातुओं की कीमतों में होने वाले उतार-चढ़ाव का संतुलित लाभ देता है। सोना आम तौर पर बाजार में अनिश्चितता के समय सुरक्षित निवेश माना जाता है, जबकि चांदी की कीमत औद्योगिक मांग और वैश्विक आर्थिक गतिविधियों से भी प्रभावित होती है।
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पोर्टफोलियो में दोनों धातुओं को शामिल करने से जोखिम का बेहतर विभाजन (diversification) होता है। इससे आपको किसी एक धातु की कीमत गिरने पर दूसरी धातु से संतुलन बनाए रखने में मदद मिल सकती है।
इसलिए, यदि आप अपने निवेश को अधिक स्थिर और संतुलित बनाना चाहते हैं, तो गोल्ड और सिल्वर दोनों में हिस्सेदारी रखना एक समझदारी भरा कदम हो सकता है। यह न केवल संभावित नुकसान को सीमित करता है, बल्कि दीर्घकालिक लाभ की संभावनाएं भी बढ़ाता है।
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