विदेशी मुद्रा बाजार में भारतीय रुपया शुरुआती बढ़त खोकर 15 पैसे की गिरावट के साथ 86.67 प्रति डॉलर पर बंद हुआ। दिन की शुरुआत में रुपया मजबूत नजर आ रहा था, लेकिन दिनभर में डॉलर की मांग बढ़ने और विदेशी फंड के लगातार बहिर्वाह से रुपये पर दबाव बना।
वित्तीय विश्लेषकों का कहना है कि वैश्विक बाजार में डॉलर की मजबूती और कच्चे तेल की कीमतों में बढ़ोतरी ने रुपये की कमजोरी में योगदान दिया। इसके अलावा, निवेशकों में विदेशी पूंजी के लगातार बाहर जाने को लेकर भी चिंता बनी हुई है।
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने बताया कि देश का विदेशी मुद्रा भंडार (Forex Reserves) सप्ताह के दौरान $1.183 अरब घटकर $695.489 अरब रह गया है। यह गिरावट मुख्य रूप से विदेशी मुद्रा संपत्तियों में कमी और सोने के भंडार में उतार-चढ़ाव के कारण आई है।
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बाजार विशेषज्ञों का मानना है कि विदेशी मुद्रा भंडार में यह गिरावट रुपये की मजबूती के लिए नकारात्मक संकेत है। हालांकि, RBI समय-समय पर बाजार में हस्तक्षेप करके रुपये की अस्थिरता को नियंत्रित करने का प्रयास कर रहा है।
ट्रेडर्स का कहना है कि आने वाले दिनों में अमेरिकी फेडरल रिजर्व की नीतियों, वैश्विक आर्थिक संकेतकों और विदेशी निवेश प्रवाह पर रुपये का रुख निर्भर करेगा। यदि डॉलर की मांग और बढ़ती है, तो रुपये पर और दबाव पड़ सकता है।
अल्पावधि में रुपये में मामूली सुधार देखने को मिल सकता है, लेकिन वैश्विक परिस्थितियों को देखते हुए निकट भविष्य में इसके मजबूत होने की संभावना कम है।
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