भारतीय रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 28 पैसे गिरकर 88.13 के स्तर पर बंद हुआ। मुद्रा बाजार में यह गिरावट मुख्य रूप से अमेरिका द्वारा भारत पर संभावित टैरिफ बढ़ोतरी और वैश्विक व्यापारिक अनिश्चितताओं के कारण दर्ज की गई।
विश्लेषकों के अनुसार, डॉलर की मजबूती और वैश्विक आर्थिक परिदृश्य में अनिश्चितता ने रुपये पर दबाव बढ़ाया। हाल ही में अमेरिका की ओर से टैरिफ संबंधी कदमों की आशंका तथा अंतरराष्ट्रीय व्यापारिक तनावों ने विदेशी मुद्रा बाजार को अस्थिर कर दिया है।
ट्रेडर्स का कहना है कि विदेशी निवेशकों की ओर से बिकवाली का दबाव भी रुपये की कमजोरी का कारण बना। इसके साथ ही, कच्चे तेल की कीमतों में उतार-चढ़ाव और वैश्विक वित्तीय बाजारों की अस्थिरता ने भी भारतीय मुद्रा को प्रभावित किया।
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बाजार विशेषज्ञों का मानना है कि यदि अमेरिकी प्रशासन भारत पर टैरिफ बढ़ाने के कदम उठाता है, तो इसका सीधा असर भारतीय निर्यात और विदेशी पूंजी प्रवाह पर पड़ सकता है। इससे रुपया और कमजोर हो सकता है।
भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने हालांकि बाजार पर करीबी नजर बनाए रखी है और जरूरत पड़ने पर हस्तक्षेप की संभावना से इंकार नहीं किया है। विशेषज्ञों का कहना है कि आने वाले दिनों में रुपये की चाल वैश्विक परिस्थितियों और अमेरिकी नीतिगत निर्णयों पर निर्भर करेगी।
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