भारतीय रुपया शुक्रवार (21 नवंबर 2025) को अमेरिकी डॉलर के मुकाबले भारी गिरावट के साथ 93 पैसे टूटकर 89.61 के सर्वकालिक निचले स्तर (प्रावधिक) पर बंद हुआ। यह पहली बार है जब रुपया 89 रुपये प्रति डॉलर के नीचे गया है। घरेलू और वैश्विक बाजारों में नकारात्मक संकेतों, जोखिम से बचाव (risk-off sentiment) और प्रस्तावित भारत-अमेरिका व्यापार समझौते को लेकर अनिश्चितता ने इस गिरावट को और गहरा किया।
इंटरबैंक फॉरेक्स बाजार में रुपया 88.67 पर खुला और कारोबार के दौरान 89.65 के रिकॉर्ड निचले स्तर तक फिसल गया। इससे पहले गुरुवार (20 नवंबर) को भी रुपया 20 पैसे गिरकर 88.68 पर बंद हुआ था। इससे पहले 30 सितंबर को इसका अब तक का सबसे निचला इंट्रा-डे स्तर 88.85 था।
फॉरेक्स विश्लेषकों का कहना है कि वैश्विक आईटी शेयरों में तेज बिकवाली, क्रिप्टोकरेंसी और एआई-टेक शेयरों में भारी गिरावट ने निवेशकों को जोखिम से दूर किया है, जिसका असर उभरती अर्थव्यवस्थाओं की मुद्राओं, खासकर रुपये पर पड़ा है। कोटक सिक्योरिटीज के अनुसंधान प्रमुख अनिंद्य बनर्जी के अनुसार, भारत-अमेरिका व्यापार समझौते को लेकर स्पष्टता न होने से भी बाजार में दबाव बढ़ा है।
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आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा ने कहा कि केंद्रीय बैंक रुपये का कोई लक्ष्य तय नहीं करता और मौजूदा गिरावट की मुख्य वजह अमेरिकी शुल्कों के कारण उत्पन्न व्यापारिक अनिश्चितता है। उन्होंने उम्मीद जताई कि भारत एक अच्छा व्यापार समझौता करेगा, जिससे चालू खाते पर दबाव कम होगा।
इस बीच, डॉलर इंडेक्स 0.09% बढ़कर 100.17 पर था। ब्रेंट क्रूड 2.18% गिरकर 62 डॉलर प्रति बैरल पर कारोबार कर रहा था। घरेलू बाजारों में सेंसेक्स 400.76 अंक गिरकर 85,231.92 पर और निफ्टी 124 अंक गिरकर 26,068.15 पर बंद हुआ। विदेशी निवेशकों ने गुरुवार को 283.65 करोड़ रुपये की शुद्ध खरीदारी की। आठ प्रमुख बुनियादी क्षेत्रों की वृद्धि दर अक्टूबर में सपाट रही, क्योंकि उर्वरक, स्टील और रिफाइनरी उत्पादन में बढ़ोतरी को कोयला और बिजली उत्पादन में गिरावट ने संतुलित कर दिया।
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