सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को केरल सरकार की उस याचिका पर नोटिस जारी किया, जिसमें राज्य ने मतदाता सूची के स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) को स्थगित करने की मांग की है। यह प्रक्रिया इस समय पूरे राज्य में जारी है। केरल सरकार का कहना है कि वर्तमान समय में इस अभ्यास को जारी रखना स्थानीय निकाय चुनावों की तैयारियों को प्रभावित करेगा, जो अगले महीने होने वाले हैं।
केरल सरकार की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि राज्य में स्थानीय निकाय चुनाव 9 और 11 दिसंबर को आयोजित किए जाएंगे। ऐसे में, चुनाव से ठीक पहले SIR जैसी व्यापक प्रक्रिया का संचालन चुनावी प्रक्रिया और मतदाता सूची के सुचारू प्रबंधन में बाधा डाल सकता है। इसलिए, सरकार ने आग्रह किया है कि SIR प्रक्रिया को कम से कम स्थानीय निकाय चुनावों के संपन्न होने तक टाल दिया जाए।
मुख्य न्यायाधीशों की पीठ—जस्टिस सूर्यकांत, जस्टिस एस. वी. एन. भट्टी, और जस्टिस जॉयमाल्या बागची—ने मामले की गंभीरता को स्वीकारते हुए भारतीय चुनाव आयोग (ECI) को नोटिस जारी किया। अदालत ने आयोग से जवाब मांगा है और इस मामले को 26 नवंबर के लिए सूचीबद्ध किया है।
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केरल सरकार का तर्क है कि SIR एक महत्वपूर्ण प्रक्रिया है, जिसमें मतदाता सूची की गहन समीक्षा और दस्तावेजों की दोबारा जांच शामिल होती है। इसे चुनाव के बीच में जारी रखना मतदाता पहचान में भ्रम और प्रशासनिक दबाव पैदा कर सकता है। सरकार चाहती है कि किसी भी प्रकार का चुनावी व्यवधान न हो, ताकि मतदान प्रक्रिया विश्वसनीय और सुचारू रूप से संपन्न हो सके।
अब सभी की निगाहें 26 नवंबर की सुनवाई पर होंगी, जब सुप्रीम कोर्ट यह तय करेगा कि SIR प्रक्रिया पर रोक लगाई जाए या नहीं।
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