घरेलू मुद्रा रुपये में शुक्रवार सुबह कमजोरी देखने को मिली। शुरुआती कारोबार में रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 11 पैसे गिरकर 87.36 पर आ गया। हालांकि, विदेशी संस्थागत निवेश (FII) से सकारात्मक पूंजी प्रवाह और कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट ने रुपये में और अधिक गिरावट को रोकने में मदद की।
विदेशी मुद्रा कारोबारियों के अनुसार, वैश्विक बाजारों में डॉलर की मजबूती और घरेलू इक्विटी बाजार में सतर्क रुख के कारण रुपये पर दबाव बना रहा। निवेशक अमेरिकी फेडरल रिजर्व की नीतियों और वैश्विक आर्थिक संकेतकों पर नजर बनाए हुए हैं।
इसके बावजूद, हाल ही में विदेशी संस्थागत निवेशकों द्वारा भारतीय बाजारों में की गई खरीदारी और अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दाम घटने से रुपये को सहारा मिला। विश्लेषकों का मानना है कि यदि कच्चे तेल की कीमतें स्थिर रहती हैं और एफआईआई का रुख सकारात्मक रहता है, तो निकट भविष्य में रुपये की स्थिति में सुधार हो सकता है।
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पिछले सत्र में रुपया 87.25 प्रति डॉलर पर बंद हुआ था। आज की हल्की गिरावट के बावजूद बाजार विशेषज्ञ इसे सामान्य उतार-चढ़ाव मान रहे हैं। उनका कहना है कि फिलहाल भारतीय अर्थव्यवस्था के बुनियादी संकेत मजबूत हैं, जिससे रुपये पर लंबी अवधि का दबाव कम होने की संभावना है।
विदेशी मुद्रा बाजार में आगे की दिशा अमेरिकी डॉलर इंडेक्स, वैश्विक पूंजी प्रवाह, कच्चे तेल की कीमतों और विदेशी संस्थागत निवेशकों के रुझान पर निर्भर करेगी।
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