भारतीय रुपया गुरुवार (27 नवंबर 2025) को अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 8 पैसे टूटकर 89.30 (अनंतिम) पर बंद हुआ। आयातकों और बैंकों की ओर से बढ़ी डॉलर की मांग और वैश्विक बाजार में मजबूत ग्रीनबैक ने रुपये पर दबाव बनाया।
फॉरेक्स विशेषज्ञों के अनुसार, हालांकि विदेशी पूंजी प्रवाह और अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट ने रुपये को कुछ सहारा दिया, लेकिन डॉलर की मांग अधिक रहने से रुपये पर कमजोरी बनी रही।
इंटरबैंक विदेशी मुद्रा बाजार में रुपया 89.19 पर खुला और कारोबार के दौरान 89.40 का निचला स्तर छुआ। इसके बाद यह सत्र के अंत में 89.30 (अनंतिम) पर बंद हुआ, जो पिछले बंद 89.22 की तुलना में 8 पैसे की गिरावट दर्शाता है। बुधवार को रुपया लगभग स्थिर रहते हुए 89.22 पर बंद हुआ था।
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इस बीच, डॉलर इंडेक्स—जो छह प्रमुख मुद्राओं के मुकाबले डॉलर की मजबूती को मापता है—0.11% बढ़कर 99.63 पर पहुंच गया। विश्लेषकों का कहना है कि महीने के अंत में व्यापार भुगतान निपटान के लिए आयातकों और बैंकों द्वारा बढ़ी मांग के कारण डॉलर इंडेक्स मजबूत बना हुआ है।
वैश्विक तेल बाजार में ब्रेंट क्रूड वायदा कीमत 0.03% गिरकर 63.11 डॉलर प्रति बैरल रही, जो भारतीय रुपये के लिए एक राहत का संकेत है।
घरेलू शेयर बाजार में भी सकारात्मक रुख देखने को मिला। सेंसेक्स 110.87 अंक या 0.13% बढ़कर 85,720.38 पर बंद हुआ, जबकि निफ्टी 10.25 अंक या 0.04% की मामूली बढ़त के साथ 26,215.55 पर बंद हुआ।
वहीं विदेशी संस्थागत निवेशकों (FII) ने बुधवार को ₹4,778.03 करोड़ मूल्य के शेयरों की शुद्ध खरीदारी की, जिससे बाजार में सकारात्मक माहौल देखने को मिला।
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