वैश्विक बाजारों में कमजोरी के रुख और विदेशी निवेशकों द्वारा लगातार पूंजी निकासी के बीच सोमवार (15 दिसंबर 2025) को भारतीय शेयर बाजार मामूली गिरावट के साथ बंद हुए। इसके अलावा भारत-अमेरिका व्यापार समझौते को लेकर बनी अनिश्चितता ने भी निवेशकों की धारणा पर दबाव बनाए रखा।
बीएसई का 30 शेयरों वाला प्रमुख सूचकांक सेंसेक्स 54.30 अंक यानी 0.06 प्रतिशत की गिरावट के साथ 85,213.36 पर बंद हुआ। कारोबार के दौरान सेंसेक्स में अधिक उतार-चढ़ाव देखने को मिला और यह एक समय 427.34 अंक या 0.50 प्रतिशत गिरकर 84,840.32 के स्तर तक पहुंच गया था। वहीं, एनएसई का 50 शेयरों वाला निफ्टी भी 19.65 अंक यानी 0.08 प्रतिशत फिसलकर 26,027.30 पर बंद हुआ।
सेंसेक्स की कंपनियों में महिंद्रा एंड महिंद्रा, मारुति सुजुकी, अदानी पोर्ट्स, बजाज फिनसर्व, टाइटन और एचडीएफसी बैंक प्रमुख रूप से नुकसान में रहे। इसके विपरीत हिंदुस्तान यूनिलीवर, ट्रेंट, एचसीएल टेक, एशियन पेंट्स और टाटा स्टील के शेयरों में बढ़त देखने को मिली और ये दिन के प्रमुख लाभार्थियों में शामिल रहे।
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एक्सचेंज के आंकड़ों के अनुसार, विदेशी संस्थागत निवेशकों (FII) ने शुक्रवार (12 दिसंबर) को 1,114.22 करोड़ रुपये के शेयरों की बिकवाली की, जबकि घरेलू संस्थागत निवेशकों (DII) ने इसी दिन 3,868.94 करोड़ रुपये के शेयर खरीदे।
एशियाई बाजारों में भी कमजोर रुख रहा। दक्षिण कोरिया का कोस्पी, जापान का निक्केई 225, शंघाई का एसएसई कंपोजिट और हांगकांग का हैंगसेंग सूचकांक गिरावट के साथ बंद हुए। हालांकि, यूरोपीय बाजारों में कारोबार के दौरान तेजी देखी गई, जबकि अमेरिकी बाजार शुक्रवार को गिरावट के साथ बंद हुए थे।
जियोजित इन्वेस्टमेंट्स लिमिटेड के रिसर्च प्रमुख विनोद नायर के अनुसार, “लगातार विदेशी फंड की निकासी और कमजोर रुपये के कारण बाजार सीमित दायरे में बना हुआ है। भारत-अमेरिका व्यापार समझौते पर स्पष्टता आने तक मुद्रा में उतार-चढ़ाव बना रह सकता है।”
इस बीच, वैश्विक तेल मानक ब्रेंट क्रूड की कीमत 0.15 प्रतिशत बढ़कर 61.21 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गई। उल्लेखनीय है कि शुक्रवार को सेंसेक्स 449.53 अंक की तेजी के साथ 85,267.66 और निफ्टी 148.40 अंक चढ़कर 26,046.95 पर बंद हुआ था।