भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) के गवर्नर संजय मल्होत्रा ने कहा है कि अस्थिर और प्रतिकूल वैश्विक परिस्थितियों के बावजूद भारतीय अर्थव्यवस्था में तेज़ वृद्धि दर्ज होने की संभावना है। उन्होंने यह बात बुधवार (31 दिसंबर, 2025) को आरबीआई की नवीनतम फाइनेंशियल स्टेबिलिटी रिपोर्ट की प्रस्तावना में कही।
आरबीआई गवर्नर ने कहा कि मजबूत घरेलू उपभोग और निवेश भारतीय अर्थव्यवस्था की वृद्धि के प्रमुख कारक बने रहेंगे। उन्होंने ज़ोर देते हुए कहा, “वित्तीय स्थिरता बनाए रखना और वित्तीय प्रणाली को सशक्त बनाना हमारा मार्गदर्शक सिद्धांत बना हुआ है।”
संजय मल्होत्रा के अनुसार, वित्तीय क्षेत्र के नियामक इस बात को समझते हैं कि वित्तीय स्थिरता अपने आप में लक्ष्य नहीं है। इसके साथ-साथ नवाचार और विकास को बढ़ावा देना, उपभोक्ताओं की सुरक्षा तथा व्यावहारिक और संतुलित नियामक एवं पर्यवेक्षण ढांचा अपनाना भी उतना ही आवश्यक है, जिससे वित्तीय प्रणाली की दक्षता में सुधार हो सके।
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उन्होंने कहा कि नीति-निर्माताओं का सबसे बड़ा योगदान एक ऐसी वित्तीय प्रणाली विकसित करना है जो झटकों के प्रति मजबूत और लचीली हो, वित्तीय सेवाओं को प्रभावी ढंग से उपलब्ध कराए और जिम्मेदार नवाचार को प्रोत्साहित करे।
आरबीआई गवर्नर ने यह भी कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था और वित्तीय प्रणाली दोनों ही मजबूत और लचीली बनी हुई हैं। इसका आधार तेज़ आर्थिक वृद्धि, नियंत्रित मुद्रास्फीति, वित्तीय और गैर-वित्तीय कंपनियों की मजबूत बैलेंस शीट, पर्याप्त सुरक्षा भंडार और विवेकपूर्ण नीतिगत सुधार हैं।
उन्होंने माना कि निकट भविष्य में बाहरी वैश्विक कारकों से कुछ चुनौतियां सामने आ सकती हैं, लेकिन आरबीआई और अन्य नियामक संस्थाएं संभावित जोखिमों से निपटने के लिए मजबूत सुरक्षा उपाय तैयार कर रही हैं। उनका कहना है कि इन कदमों से भारतीय अर्थव्यवस्था और वित्तीय प्रणाली को किसी भी संभावित झटके से सुरक्षित रखा जा सकेगा।
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