अमेरिका के साथ चल रही टैरिफ डील को लेकर भारतीय अर्थव्यवस्था और बाजारों में अनिश्चितता के बीच, बोस्टन कंसल्टिंग ग्रुप (BCG) के ग्लोबल चेयर रिचर्ड लेसर ने कहा है कि उन्हें टैरिफ के प्रभाव से कहीं ज्यादा आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) के असर की चिंता है, जिसे उन्होंने “बेहद महत्वपूर्ण” बताया।
The Indian Witness के ‘आइडिया एक्सचेंज’ सत्र में बोलते हुए लेसर ने कहा कि भारत और अमेरिका के बीच टैरिफ किस तरह लागू होंगे, इसे लेकर कोई भी पूरी तरह निश्चित नहीं है। उन्होंने कहा कि भविष्य “स्पष्ट नहीं है और स्थिर रहने की संभावना भी कम है।” इसके बावजूद उनका मानना है कि टैरिफ नीति अंततः दोनों देशों के रणनीतिक हितों की पूर्ति करेगी और उन्हें उम्मीद है कि भारत और अमेरिका किसी न किसी स्तर पर एक साझा टैरिफ नीति पर पहुंच जाएंगे।
लेसर ने कहा, “मेरे लिए, एआई जैसे कारकों की तुलना में टैरिफ का प्रभाव अपेक्षाकृत कम साबित होगा। मैं अर्थव्यवस्था के कुछ क्षेत्रों पर इसके असर को कम करके नहीं आंक रहा, लेकिन कुल मिलाकर मुझे लगता है कि अल्पकालिक राजनीतिक चुनौतियों पर ज्यादा ध्यान देना आसान होता है, जबकि व्यापारिक नेताओं के रूप में हमें अर्थव्यवस्था में हो रहे बुनियादी और गहरे बदलावों पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।”
और पढ़ें: G20 शिखर सम्मेलन: पीएम मोदी ने एआई के दुरुपयोग पर कड़े वैश्विक प्रतिबंधों की मांग की
उन्होंने आगे कहा कि वैश्विक अर्थव्यवस्था इस समय कई तकनीकी क्रांतियों के दौर से गुजर रही है और इनमें सबसे प्रमुख और तात्कालिक क्रांति आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की है। “एआई सिर्फ महत्वपूर्ण नहीं है, बल्कि यह निर्णायक भूमिका निभाने वाला कारक है”।
लेसर के अनुसार, एआई आने वाले वर्षों में उत्पादकता, रोजगार, व्यापार मॉडल और प्रतिस्पर्धा की प्रकृति को पूरी तरह बदल देगा। ऐसे में कंपनियों और नीति-निर्माताओं को अल्पकालिक टैरिफ बहसों से आगे बढ़कर तकनीकी बदलावों के लिए खुद को तैयार करना चाहिए। उनका मानना है कि जो देश और कंपनियां एआई को जल्दी अपनाएंगी, वही भविष्य की वैश्विक अर्थव्यवस्था में बढ़त हासिल करेंगी।
और पढ़ें: जॉर्डन के क्राउन प्रिंस ने पीएम मोदी को नेशनल म्यूजियम तक खुद ड्राइव कर ले गए, प्रधानमंत्री ने साझा की तस्वीरें