अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की नवीनतम टैरिफ समयसीमा नजदीक आ रही है, जिसने वैश्विक व्यापार जगत में हलचल मचा दी है। ट्रंप ने अप्रैल में घोषणा की थी कि अमेरिका लगभग सभी देशों से आयात होने वाले सामान पर व्यापक कर लगाएगा। इसका उद्देश्य अमेरिकी विनिर्माण को बढ़ावा देना और व्यापार घाटे को कम करना है।
अमेरिकी प्रशासन अब तक कई व्यापार समझौतों की घोषणा कर चुका है। इनमें विशेष रूप से उन देशों के साथ नए करार शामिल हैं, जो अमेरिका के प्रमुख व्यापारिक साझेदार हैं। इन समझौतों का मकसद टैरिफ से प्रभावित उद्योगों को संतुलित करना और आपूर्ति श्रृंखला को बनाए रखना है।
रिपोर्ट्स के अनुसार, ट्रंप प्रशासन ने एशिया, यूरोप और दक्षिण अमेरिका के कई देशों के साथ बातचीत की है ताकि आयात करों से उत्पन्न तनाव को कम किया जा सके। हालांकि, भारत, चीन और कुछ यूरोपीय देशों के साथ अभी भी बातचीत पूरी नहीं हुई है, जिससे आगामी समयसीमा तक व्यापारिक रिश्तों में और खिंचाव आ सकता है।
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विशेषज्ञों का मानना है कि यदि अमेरिका सभी देशों पर यह नया आयात कर लागू करता है, तो वैश्विक व्यापार पर इसका बड़ा असर पड़ेगा और कई देशों की अर्थव्यवस्थाएं प्रभावित होंगी। वहीं, अमेरिकी उद्योग जगत इस कदम को स्थानीय उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए सकारात्मक मान रहा है।
ट्रंप प्रशासन का कहना है कि उनका लक्ष्य एक निष्पक्ष और संतुलित वैश्विक व्यापार प्रणाली स्थापित करना है, जिसमें अमेरिकी हितों की रक्षा सर्वोच्च प्राथमिकता होगी।
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