केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ने एक बड़े और संगठित अंतरराष्ट्रीय साइबर धोखाधड़ी नेटवर्क का भंडाफोड़ करते हुए 17 आरोपियों और 58 कंपनियों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की है। आरोपियों में चार चीनी नागरिक भी शामिल हैं। जांच एजेंसी के अनुसार, यह नेटवर्क भारत के कई राज्यों में सक्रिय था और इसके जरिए शेल कंपनियों तथा फर्जी बैंक खातों का इस्तेमाल कर भारी मात्रा में अवैध धन का लेन-देन किया गया।
CBI की जांच में सामने आया है कि इस साइबर धोखाधड़ी नेटवर्क के जरिए ₹1,000 करोड़ से अधिक की राशि को कथित तौर पर विभिन्न शेल कंपनियों के बैंक खातों के माध्यम से घुमाया गया। जांच में यह भी पाया गया कि एक अकेले बैंक खाते में ही बहुत कम समय में ₹152 करोड़ से अधिक की राशि जमा की गई थी, जिससे इस पूरे नेटवर्क के पैमाने और गंभीरता का अंदाजा लगाया जा सकता है।
एजेंसी ने चार विदेशी हैंडलरों की पहचान की है, जिनमें Zou Yi, Huan Liu, Weijian Liu और Guanhua Wang शामिल हैं। CBI के मुताबिक, इन्हीं विदेशी संचालकों के निर्देश पर वर्ष 2020 के बाद भारत में बड़ी संख्या में शेल कंपनियां बनाई गईं। इन कंपनियों का इस्तेमाल साइबर अपराध से अर्जित धन को वैध दिखाने, उसे इधर-उधर भेजने और जांच एजेंसियों की नजरों से बचाने के लिए किया गया।
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जांच में यह भी सामने आया कि इस नेटवर्क ने फर्जी दस्तावेजों, डमी निदेशकों और नाममात्र के कर्मचारियों का सहारा लिया। कई कंपनियां केवल कागजों पर मौजूद थीं, जिनका कोई वास्तविक व्यावसायिक कामकाज नहीं था। इनका मुख्य उद्देश्य साइबर धोखाधड़ी से प्राप्त धन को विभिन्न खातों में ट्रांसफर करना था।
CBI ने कहा कि यह मामला अंतरराष्ट्रीय स्तर पर संचालित साइबर अपराध के बढ़ते खतरे को दर्शाता है। एजेंसी इस नेटवर्क से जुड़े अन्य लोगों और संभावित अंतरराष्ट्रीय कड़ियों की भी जांच कर रही है। अधिकारियों का कहना है कि दोषियों के खिलाफ कड़ी कानूनी कार्रवाई की जाएगी और इस तरह के साइबर अपराधों पर अंकुश लगाने के लिए जांच जारी रहेगी।
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