गुज़रात हाईकोर्ट ने सोमवार को स्वयंभू आध्यात्मिक नेता आसाराम बापू को दी गई अंतरिम जमानत की एक प्रमुख शर्त में संशोधन किया। अदालत ने उनके आसपास तीन पुलिस अधिकारियों की 24 घंटे उपस्थिति की शर्त को हटाते हुए कहा कि अन्य सभी शर्तें पहले की तरह लागू रहेंगी।
जस्टिस आई. जे. वोरा और जस्टिस आर. टी. वच्छानी की खंडपीठ ने आसाराम की उस याचिका पर विचार किया, जिसमें उन्होंने जमानत आदेश से सुरक्षा घेरा हटाने की मांग की थी। अदालत ने स्पष्ट किया कि वह अपने अनुयायियों से समूह में नहीं मिलेंगे और न ही किसी प्रकार का सार्वजनिक भाषण देंगे।
अदालत के मौखिक आदेश में कहा गया, “हमने आरोपी के पूर्व आचरण और राजस्थान हाईकोर्ट के आदेशों का ध्यानपूर्वक अध्ययन किया है। इन परिस्थितियों में 24 घंटे सुरक्षा कर्मियों की उपस्थिति की शर्त हटाई जाती है। हालांकि पुलिस कर्मियों की उपस्थिति बनी रहेगी।”
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अदालत ने यह भी कहा कि आसाराम को छह महीने की जमानत अवधि के दौरान अपना मेडिकल रिपोर्ट कोर्ट में जमा करना होगा। यह शर्त पहले की तरह जारी रहेगी और इसका पालन करना अनिवार्य होगा।
सुनवाई के दौरान राज्य के लोक अभियोजक ने अदालत को बताया कि सुरक्षा के लिए पुलिस एस्कॉर्ट की आवश्यकता है और राज्य यह सुविधा “राज्य के खर्च पर” देने को तैयार है। जब आसाराम के वकील ने कहा कि आश्रम में रहने वाले कुछ अनुयायी उनसे मिलना चाहते हैं, तो कोर्ट ने टोकते हुए कहा, “इस मुद्दे को न बढ़ाएं… हम अपना फैसला दोबारा नहीं देखेंगे।”
गौरतलब है कि नवंबर में गुजरात हाईकोर्ट ने चिकित्सा कारणों से आसाराम की सजा छह महीने के लिए निलंबित की थी। इससे पहले 29 अक्टूबर को राजस्थान हाईकोर्ट ने भी वहां के मामले में सजा निलंबित की थी।
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