महाराष्ट्र पुलिस की मीरा-भायंदर वसई-विरार (MBVV) अपराध शाखा की कार्रवाई से म्यांमार में ‘साइबर गुलामी’ के शिकार बने सात भारतीय नागरिकों को सुरक्षित रेस्क्यू कर भारत वापस लाया गया है। इन लोगों को म्यांमार के म्यावाडी टाउनशिप स्थित कुख्यात KK पार्क में जबरन रखा गया था, जहां उनसे अंतरराष्ट्रीय वित्तीय धोखाधड़ी करवाई जा रही थी।
वरिष्ठ अधिकारियों के अनुसार, यह जांच तब शुरू हुई जब मीरा रोड निवासी सैयद इरतीस फजल अब्बास हुसैन और अम्मार असलम लकड़ावाला किसी तरह भारत लौटने में सफल रहे और नयानगर पुलिस थाने में शिकायत दर्ज कराई। उन्होंने बताया कि जुलाई से सितंबर 2025 के बीच उन्हें उनके परिचित आसिफ खान और अदनान शेख ने बैंकॉक में नौकरी दिलाने का झांसा दिया था। लेकिन उन्हें धोखे से म्यांमार ले जाया गया।
सहायक पुलिस आयुक्त मदन बल्लाल ने बताया कि पीड़ितों को यूयू8 नामक कंपनी में स्टीव, अन्ना और लियो नाम के तीन लोगों के हवाले कर दिया गया। वहां उन्हें शारीरिक हिंसा की धमकी देकर विदेशी नागरिकों से साइबर धोखाधड़ी करने के लिए मजबूर किया गया। जब उन्होंने इनकार किया, तो गिरोह ने उनकी रिहाई के बदले प्रति व्यक्ति 6 लाख रुपये की फिरौती मांगी, जो विभिन्न भारतीय बैंक खातों के जरिए वसूली गई।
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जांच में यह भी सामने आया कि मीरा-भायंदर और वसई-विरार क्षेत्र के कई युवक इसी ‘साइबर गुलामी’ के जाल में फंसे हुए थे। अपराध शाखा ने पासपोर्ट नंबर, म्यांमार स्थित आईपी एड्रेस और मोबाइल डेटा का विश्लेषण कर पीड़ितों का पता लगाया। इसके बाद नई दिल्ली स्थित भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र (I4C) के माध्यम से यांगून में भारतीय दूतावास से संपर्क किया गया।
इस सूचना के आधार पर 21 अक्टूबर को म्यांमार सेना ने KK पार्क पर छापा मारा। एमबीवीवी पुलिस द्वारा उपलब्ध कराए गए डेटा के चलते भारत सरकार ने इस सप्ताह सात पीड़ितों की पहचान कर उन्हें स्वदेश वापस लाया, जिनमें से चार एमबीवीवी क्षेत्र के हैं।
इस मामले में मीरा-भायंदर, गुजरात के सूरत और आंध्र प्रदेश के विशाखापट्टनम से चार मुख्य आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है। उन पर भारतीय न्याय संहिता के तहत मानव तस्करी, फिरौती के लिए अपहरण, धोखाधड़ी समेत अन्य गंभीर धाराओं में केस दर्ज किया गया है। फिरौती की रकम के वित्तीय लेनदेन की जांच अभी जारी है।
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