प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार, 28 दिसंबर 2025 को दिल्ली में आयोजित मुख्य सचिवों के राष्ट्रीय सम्मेलन की अध्यक्षता की। इस अवसर पर उन्होंने शासन और सुधारों से जुड़े विभिन्न महत्वपूर्ण विषयों पर गहन और सार्थक चर्चा की। अधिकारियों के अनुसार, यह सम्मेलन केंद्र और राज्यों के बीच सहयोग को और मजबूत करने की दिशा में एक अहम कदम साबित हुआ है।
The Indian Witness के अनुसार प्रधानमंत्री मोदी के दिल्ली में आयोजित मुख्य सचिवों के राष्ट्रीय सम्मेलन के दौरान शासन और सुधारों से जुड़े विभिन्न मुद्दों पर सार्थक चर्चा हुई। सम्मेलन को राष्ट्रीय विकास की प्राथमिकताओं पर केंद्र और राज्यों के बीच संरचित और सतत संवाद को बढ़ावा देने वाला मंच बताया गया।
इस सम्मेलन में प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव पी.के. मिश्रा और शक्तिकांत दास, कैबिनेट सचिव टी.वी. सोमनाथन, नीति आयोग के सदस्य तथा सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य सचिव शामिल हुए। केंद्र सरकार के मंत्रालयों, विभागों, नीति आयोग, राज्यों, केंद्र शासित प्रदेशों और विभिन्न क्षेत्रों के विशेषज्ञों के बीच व्यापक विचार-विमर्श किया गया।
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सम्मेलन का मुख्य विषय ‘विकसित भारत के लिए मानव पूंजी’ रखा गया है। इसके तहत राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के लिए सर्वोत्तम कार्यप्रणालियों और रणनीतियों पर चर्चा की जा रही है। इस दौरान प्रारंभिक बाल शिक्षा, स्कूली शिक्षा, कौशल विकास, उच्च शिक्षा, खेल और पाठ्येतर गतिविधियों जैसे पांच प्रमुख क्षेत्रों पर विशेष जोर दिया गया।
सम्मेलन के कार्यक्रम के अनुसार, सप्ताहांत में छह विशेष सत्र आयोजित किए जाएंगे, जिनमें राज्यों में विनियमन शिथिलीकरण, शासन में प्रौद्योगिकी की भूमिका, एग्रीस्टैक के माध्यम से स्मार्ट आपूर्ति श्रृंखला, ‘एक राज्य-एक विश्वस्तरीय पर्यटन स्थल’, आत्मनिर्भर भारत और वामपंथी उग्रवाद मुक्त भविष्य की योजनाएं शामिल हैं।
इसके अलावा, विरासत और पांडुलिपियों के संरक्षण व डिजिटलीकरण तथा ‘आयुष फॉर ऑल’ के तहत प्राथमिक स्वास्थ्य सेवाओं में पारंपरिक ज्ञान के एकीकरण पर भी चर्चा होगी। प्रधानमंत्री के सहकारी संघवाद के दृष्टिकोण पर आधारित यह सम्मेलन भारत की मानव पूंजी को अधिकतम करने और समावेशी विकास को गति देने का मंच है। यह सम्मेलन पिछले चार वर्षों से प्रतिवर्ष आयोजित किया जा रहा है।
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