मॉस्को से मिली रिपोर्टों के अनुसार, रूस की संसद के निचले सदन ‘स्टेट ड्यूमा’ भारत के साथ एक महत्वपूर्ण सैन्य समझौते को पक्का करने की तैयारी में है। यह कदम रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की 4-5 दिसंबर को होने वाली भारत यात्रा और 23वें वार्षिक शिखर सम्मेलन से ठीक पहले उठाया जा रहा है।
यह समझौता—Reciprocal Exchange of Logistics Agreement (RELOS)—18 फरवरी 2025 को मॉस्को में भारतीय राजदूत विनय कुमार और रूस के तत्कालीन उप-रक्षा मंत्री अलेक्जेंडर फोमिन द्वारा हस्ताक्षरित किया गया था। इस समझौते का उद्देश्य दोनों देशों के बीच सैन्य सहयोग और लॉजिस्टिक सपोर्ट को और मजबूत करना है।
स्टेट ड्यूमा ने अपनी रेटिफिकेशन डेटाबेस में इस समझौते को शामिल करते हुए कहा है कि इसकी मंजूरी से भारत और रूस के बीच सैन्य क्षेत्र में सहयोग और मजबूत होगा। रूसी सरकारी नोट का हवाला देते हुए सरकारी समाचार एजेंसी TASS ने बताया कि इस समझौते से संयुक्त गतिविधियों—जैसे सैन्य अभ्यास, मानवीय सहायता और आपदा राहत—की प्रक्रियाएं सरल होंगी।
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स्थानीय रक्षा विशेषज्ञों के अनुसार, RELOS जैसे समझौते शांतिपूर्ण समय में दोनों देशों की परिचालन क्षमता को भौगोलिक रूप से विस्तृत करते हैं। माना जा रहा है कि यह समझौता आर्कटिक क्षेत्र में संभव संयुक्त अभ्यासों पर भी लागू हो सकता है, क्योंकि भारत यमाल प्रायद्वीप से LNG आयात करता है।
भारतीय नौसेना के तलवार वर्ग के फ्रिगेट और INS विक्रमादित्य जैसे जहाज ठंडे व कठिन आर्कटिक माहौल में संचालित होने में सक्षम हैं। RELOS के बाद वे रूस के नौसैनिक अड्डों का उपयोग लॉजिस्टिक सपोर्ट के लिए कर सकते हैं। इसी तरह रूसी नौसेना भारतीय नौसैनिक सुविधाओं का उपयोग कर इंडियन ओशियन रिजन में अपनी उपस्थिति बढ़ा सकती है, जिससे चीन और अन्य बाहरी देशों के प्रभाव का संतुलन स्थापित हो सकेगा।
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