जल जीवन मिशन के तहत विभिन्न राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में किए जा रहे परियोजनाओं में अनियमितताओं और निम्न गुणवत्ता वाले कार्यों को लेकर बड़ी संख्या में शिकायतें सामने आई हैं। राज्यसभा में पूछे गए एक प्रश्न के उत्तर में जल शक्ति राज्य मंत्री वी. सोमनाथ ने बताया कि अब तक कुल 17,036 शिकायतें प्राप्त हुई हैं, जिनमें से सबसे अधिक—लगभग 84%—उत्तर प्रदेश से दर्ज की गई हैं। यह आंकड़ा दर्शाता है कि राज्य में मिशन के क्रियान्वयन को लेकर व्यापक असंतोष और शिकायतें मौजूद हैं।
मंत्री के अनुसार, अनियमितताओं, खराब निर्माण गुणवत्ता और तकनीकी त्रुटियों से संबंधित इन शिकायतों पर गंभीर कार्रवाई की गई है। सरकार द्वारा 621 विभागीय अधिकारियों, 969 ठेकेदारों और 153 थर्ड पार्टी इंस्पेक्शन एजेंसियों (TPIAs) के खिलाफ कार्रवाई की गई है। यह दर्शाता है कि केंद्र सरकार परियोजनाओं में पारदर्शिता और गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए कड़े कदम उठा रही है।
जल जीवन मिशन का उद्देश्य हर ग्रामीण परिवार को नल से स्वच्छ पेयजल उपलब्ध कराना है, लेकिन विभिन्न राज्यों से मिलने वाली शिकायतें इस मिशन की गुणवत्ता और निगरानी को लेकर गंभीर प्रश्न खड़े करती हैं। विशेष रूप से उत्तर प्रदेश में इतनी अधिक संख्या में शिकायतों का आना स्थानीय स्तर पर निगरानी तंत्र की कमज़ोरी और परियोजना के क्रियान्वयन में खामियों को उजागर करता है।
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सरकार ने कहा है कि वह शिकायतों की जांच और संबद्ध अधिकारियों पर कार्रवाई को प्राथमिकता दे रही है, ताकि मिशन के लक्ष्य समय पर और प्रभावी तरीके से पूरे हो सकें। जल जीवन मिशन को देश के सबसे महत्वपूर्ण ग्रामीण विकास कार्यक्रमों में से एक माना जाता है, और इसकी सफलता जनता के भरोसे, गुणवत्ता वाले कार्य और प्रभावी निगरानी पर निर्भर करती है।
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