पाकिस्तान की संसद में शनिवार को 27वां संवैधानिक संशोधन विधेयक पेश किया गया, जिसके तहत देश में ‘चीफ ऑफ डिफेन्स फोर्सेज’ (Chief of Defence Forces) का नया पद सृजित किया गया है। इसका उद्देश्य तीनों सेनाओं — थल, वायु और नौसेना — के बीच बेहतर समन्वय और एकीकृत कमान सुनिश्चित करना है।
यह संशोधन पाकिस्तान के संविधान के अनुच्छेद 243 में बदलाव प्रस्तावित करता है, जो सशस्त्र बलों से संबंधित है। इसके अनुसार, राष्ट्रपति प्रधानमंत्री की सलाह पर सेना प्रमुख और रक्षा बल प्रमुख की नियुक्ति करेंगे। रक्षा बल प्रमुख को राष्ट्रीय सामरिक कमान (National Strategic Command) के प्रमुख की नियुक्ति का भी अधिकार होगा।
सरकार अब सेना, वायुसेना और नौसेना के अधिकारियों को ‘फील्ड मार्शल’, ‘मार्शल ऑफ द एयर फोर्स’ और ‘एडमिरल ऑफ द फ्लीट’ के पदों तक पदोन्नत कर सकेगी। इन पदों के विशेषाधिकार जीवनभर के लिए होंगे।
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यह विधेयक उस समय लाया गया है जब पाकिस्तान ने मई में भारत के साथ चार दिवसीय संघर्ष — ‘ऑपरेशन सिंदूर’ — के दौरान भारी क्षति झेली थी। इस संघर्ष में भारत ने पाकिस्तान के आतंकी ढांचे को निशाना बनाया था। भारतीय वायुसेना प्रमुख ए. पी. सिंह के अनुसार, दर्जनभर पाकिस्तानी सैन्य विमान, जिनमें एफ-16 भी शामिल थे, तबाह हुए थे।
संघर्ष के बाद, पाकिस्तानी सरकार ने सेना प्रमुख जनरल आसिम मुनीर को फील्ड मार्शल के पद पर पदोन्नत किया था, जिससे वे पाकिस्तान के इतिहास में इस रैंक को पाने वाले दूसरे अधिकारी बन गए।
विधेयक में एक संघीय संवैधानिक न्यायालय की स्थापना, उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की नियुक्ति प्रक्रिया में बदलाव और प्रांतीय कैबिनेट्स के गठन के नए मानक भी शामिल हैं।
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