ब्राज़ील की सुप्रीम कोर्ट ने देश के पूर्व राष्ट्रपति जैर बोल्सोनारो को तख़्तापलट की साजिश रचने के आरोप में 27 वर्ष से अधिक की कठोर सज़ा सुनाई है। अदालत ने पाया कि बोल्सोनारो ने सत्ता में बने रहने के लिए संवैधानिक व्यवस्था को तोड़ने की साजिश रची थी। इस फैसले को ब्राज़ील के लोकतांत्रिक ढांचे की मजबूती के रूप में देखा जा रहा है। अदालत ने कहा कि बोल्सोनारो ने देश को अस्थिर करने और लोकतांत्रिक संस्थाओं को कमजोर करने का प्रयास किया।
बोल्सोनारो पर लगे आरोपों में यह शामिल है कि उन्होंने सेना और अपने समर्थकों को चुनाव परिणामों के खिलाफ भड़काया और हिंसक प्रदर्शनों को बढ़ावा दिया। जनवरी 2023 में ब्राज़ील की संसद और अन्य सरकारी इमारतों पर हुई हिंसक घटनाओं के पीछे उनकी कथित भूमिका को भी इस मामले से जोड़ा गया। अदालत के इस कड़े फैसले ने ब्राज़ील की राजनीति में भूचाल ला दिया है, जहां बोल्सोनारो अब भी एक बड़े समर्थक वर्ग के नेता माने जाते हैं।
इसी बीच, अमेरिकी सीनेटर मार्को रुबियो ने भारत-अमेरिका संबंधों को लेकर बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में भारत के साथ अमेरिका के रिश्ते दुनिया के सबसे महत्वपूर्ण संबंधों में से एक हैं। रुबियो ने रक्षा, प्रौद्योगिकी और रणनीतिक सहयोग के क्षेत्रों में भारत की अहम भूमिका को रेखांकित किया। उनका मानना है कि 21वीं सदी की भू-राजनीति में भारत-अमेरिका की साझेदारी निर्णायक साबित होगी।
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इन दोनों घटनाक्रमों से यह स्पष्ट है कि एक ओर ब्राज़ील अपने लोकतंत्र को मज़बूत करने की दिशा में आगे बढ़ रहा है, वहीं दूसरी ओर भारत और अमेरिका वैश्विक राजनीति में साझेदारी का नया अध्याय लिख रहे हैं।
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