ऑस्ट्रेलिया के बॉन्डी बीच पर हुए आतंकी हमले के दौरान एक हमलावर को काबू में करने में मदद करने वाले भारतीय मूल के 34 वर्षीय युवक ने कहा कि उसका मकसद सिर्फ हमलावर को रोकना और जरूरतमंदों की मदद करना था। इस हमले में 15 लोगों की मौत हो गई थी, जबकि 40 अन्य घायल हुए थे, जिनमें तीन भारतीय छात्र भी शामिल हैं।
यह हमला 14 दिसंबर को उस समय हुआ, जब बॉन्डी बीच पर एक यहूदी त्योहार मनाया जा रहा था। आरोप है कि एक पिता-पुत्र की जोड़ी ने अंधाधुंध गोलीबारी की। हमलावरों में से एक, 50 वर्षीय साजिद अकरम, जो सिडनी का निवासी था, पुलिस की कार्रवाई में मारा गया, जबकि उसका 24 वर्षीय ऑस्ट्रेलिया में जन्मा बेटा नावीद अकरम घायल हो गया।
न्यूजीलैंड में भारतीय और कीवी माता-पिता के घर जन्मे अमनदीप सिंह-बोला ने कथित हमलावर साजिद अकरम को काबू में करने में अहम भूमिका निभाई। रिपोर्ट के अनुसार, अमनदीप उस पुल पर दौड़ते हुए पहुंचे, जहां से हमलावर लोगों पर गोलियां चला रहा था। वहां उन्होंने एक पुलिस अधिकारी की मदद से हमलावर को नीचे गिराकर दबोच लिया।
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अमनदीप ने कहा, “मैं हमलावर के ऊपर कूद गया और उसके हाथ पकड़ लिए। पुलिस अधिकारी ने मुझसे कहा कि उसे छोड़ना मत।” उन्होंने बताया कि उनका उद्देश्य हमलावर को काबू में करना या किसी भी तरह लोगों की मदद करना था।
घटना के वक्त अमनदीप समुद्र तट पर कबाब खाते हुए सूर्यास्त देख रहे थे और शुरू में उन्होंने गोलियों की आवाज को पटाखे समझ लिया था। उन्होंने कहा, “उस वक्त सब कुछ धुंधला सा हो गया था। बस यही कोशिश थी कि खुद को छिपाया जाए और यह पता लगाया जाए कि हमलावर कहां है।”
उन्होंने बताया कि पुलिस द्वारा गोली मारे जाने के बाद भी वह हमलावर के ऊपर लेटे रहे और उन्हें उसके मरने का अहसास हुआ। ऑस्ट्रेलिया की संघीय पुलिस आयुक्त क्रिसी बैरेट ने इस घटना को इस्लामिक स्टेट से प्रेरित आतंकवादी हमला बताया है।
साजिद अकरम की पहचान हैदराबाद से आए एक भारतीय नागरिक के रूप में हुई है, जो 27 साल पहले ऑस्ट्रेलिया गया था, जबकि उसका बेटा ऑस्ट्रेलियाई नागरिक है।
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