ब्राज़ील में पूर्व राष्ट्रपति जाइर बोल्सोनारो की जेल अवधि कम करने वाले विधेयक के खिलाफ देशभर में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन हुए। रविवार (14 दिसंबर 2025) को राजधानी ब्रासीलिया समेत साओ पाउलो, फ्लोरियानोपोलिस, साल्वाडोर और रेसिफे जैसे प्रमुख शहरों में हजारों लोग सड़कों पर उतरे। यह विधेयक इसी सप्ताह संसद के निचले सदन में पारित हुआ था और अब सीनेट में विचाराधीन है।
पूर्व राष्ट्रपति बोल्सोनारो को जनवरी 2023 में हुए कथित तख्तापलट प्रयास के मामले में 27 साल से अधिक की सज़ा सुनाई गई थी। इस विधेयक के लागू होने पर उनकी जेल अवधि घटकर करीब दो साल चार महीने रह सकती है। प्रदर्शनकारियों का कहना है कि यह कानून लोकतंत्र पर हमला करने वालों को बचाने का प्रयास है।
रियो डी जनेरियो के कोपाकबाना बीच पर हुए प्रदर्शन में वामपंथी समर्थकों ने “नो एमनेस्टी” और “ह्यूगो मोट्टा बाहर जाओ” जैसे नारे लगाए। प्रसिद्ध गायक कैटानो वेलोसो और गिलबर्टो गिल ने भी मंच से प्रस्तुति दी। कई प्रदर्शनकारियों के हाथों में तख्तियां थीं, जिन पर लिखा था— “कांग्रेस जनता की दुश्मन है।”
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प्रदर्शन में शामिल 56 वर्षीय भूवैज्ञानिक एंटोनियो एडसन लीमा डी ओलिवेरा ने कहा कि ब्राज़ील पहले भी तानाशाही देख चुका है और देश दोबारा वैसा दौर नहीं चाहता। वहीं, छात्र आंदोलन की 18 वर्षीय कार्यकर्ता लाविनिया स्कालिया ने कहा कि केवल गीत गाने से नहीं, बल्कि सड़कों पर उतरकर लोकतंत्र की रक्षा करनी होगी।
विधेयक पेश करने वाले सांसद पाउलिन्हो दा फोर्सा का कहना है कि इसका उद्देश्य राष्ट्रीय सुलह है। हालांकि राष्ट्रपति लुईज इनासियो लूला दा सिल्वा पहले ही संकेत दे चुके हैं कि वह इस कानून को वीटो कर सकते हैं।
यह प्रस्ताव 8 जनवरी 2023 को सरकारी इमारतों पर हुए हमले से जुड़े सभी दोषियों की सज़ा कम करने से संबंधित है। न्यायपालिका के अनुसार, बोल्सोनारो ने उस विद्रोह के पीछे आपराधिक संगठन का नेतृत्व किया था, जिसका उद्देश्य लूला सरकार को गिराना था।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि जनविरोध के चलते सीनेट में इस विधेयक में बदलाव संभव है। इस बीच, बोल्सोनारो के मुकदमे को लेकर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी ध्यान बढ़ा है, खासकर अमेरिका-ब्राज़ील संबंधों में हालिया उतार-चढ़ाव के बाद।
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