जमीअत उलेमा-ए-हिंद के प्रमुख अरशद मदनी ने दिल्ली ब्लास्ट मामले की चल रही जांच के बीच अल-फलाह विश्वविद्यालय और मुस्लिम समुदाय को लेकर दिए गए बयान से विवाद खड़ा कर दिया है। मदनी ने आरोप लगाया कि देश में मुसलमानों के साथ भेदभाव बढ़ रहा है और अल-फलाह विश्वविद्यालय तथा नेता आज़म खान इसके उदाहरण हैं।
मदनी ने कहा कि आज अमेरिका में एक मुस्लिम, ज़ोहरान ममदानी न्यूयॉर्क के मेयर बन सकते हैं, और ब्रिटेन में सादिक़ खान लंदन के मेयर। लेकिन भारत में कोई मुस्लिम विश्वविद्यालय का कुलपति नहीं बन सकता, और यदि बन भी जाए, तो आज़म खान की तरह जेल में डाल दिया जाता है। उन्होंने दावा किया कि अल-फलाह विश्वविद्यालय के संस्थापक जेल में हैं और पता नहीं कितने साल वहीं रहेंगे।
10/11 दिल्ली ब्लास्ट केस में गिरफ्तार संदिग्धों के कनेक्शन के आधार पर अल-फलाह विश्वविद्यालय की मनी लॉन्ड्रिंग और टेरर फंडिंग की जांच की जा रही है। इसके संस्थापक जवाद सिद्दीकी ईडी की हिरासत में हैं।
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मदनी ने कहा कि दुनिया समझ रही है कि मुसलमान असहाय हो गए हैं, लेकिन उनका मानना है कि समुदाय अभी भी मजबूत है। उन्होंने आरोप लगाया कि “सरकार चाहती है कि मुसलमानों के पैरों तले जमीन खिसक जाए।”
कांग्रेस नेता उदित राज ने मदनी का समर्थन किया और कहा कि आतंकवाद करने वालों को सज़ा मिलनी चाहिए, लेकिन विश्वविद्यालय को निशाना नहीं बनाया जाना चाहिए। उन्होंने सवाल उठाया कि “मुसलमानों के घर क्यों बुलडोज़ चलाए जा रहे हैं?”
समाजवादी पार्टी के घनश्याम तिवारी ने प्रधानमंत्री से प्रेस कॉन्फ्रेंस कर स्थिति स्पष्ट करने की मांग की।
BJP ने मदनी पर पलटवार करते हुए उन्हें दोहरे मापदंड अपनाने और मुसलमानों को गुमराह करने का आरोप लगाया। बीजेपी नेता मोहसिन रज़ा ने कहा कि मदनी और उनका परिवार वर्षों से अल्पसंख्यकों के नाम पर पैसे लेते रहे लेकिन उनके लिए कुछ नहीं किया।
बीजेपी नेता यासिर जिलानी ने कहा कि मदनी भ्रम फैला रहे हैं और भारत मुसलमानों के लिए सबसे सुरक्षित स्थान है। उन्होंने कहा कि सरकार सबको साथ लेकर चल रही है, और अपराधियों का बचाव नहीं होना चाहिए।
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