कंबोडिया की संसद ने हाल ही में एक विवादास्पद विधेयक पारित किया, जो सरकार को किसी व्यक्ति की नागरिकता रद्द करने का अधिकार देता है। इस कदम को आलोचकों ने दमनकारी और संवैधानिक अधिकारों के खिलाफ बताया है।
विधेयक के अनुसार, कंबोडियाई नागरिकता वाले व्यक्ति को सत्ता या कानून द्वारा निर्धारित परिस्थितियों में सरकार द्वारा नागरिकता खोने का खतरा हो सकता है। इसके तहत, सरकार किसी भी नागरिक के अधिकारों को सीमित करने या उन्हें देश से निष्कासित करने की शक्तियाँ पा सकती है।
अधिकार समूहों और राजनीतिक विश्लेषकों ने इस कदम की कड़ी आलोचना की है और इसे राजनीतिक विरोधियों और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं को दबाने के लिए एक हथियार बताया है। उनका कहना है कि इस तरह का कानून लोकतंत्र के मूल सिद्धांतों और व्यक्तिगत स्वतंत्रता के लिए खतरा है।
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सरकार ने इस विधेयक के पारित होने के बाद कहा कि इसका उद्देश्य सुरक्षा और राष्ट्रीय हितों की रक्षा है, लेकिन आलोचक इसे सत्ता के केंद्रीकरण और आलोचना को रोकने का प्रयास मान रहे हैं।
अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संगठनों ने इस कदम को लेकर चिंता व्यक्त की है और कंबोडियाई सरकार से अपील की है कि यह कानून नागरिकों के मूल अधिकारों को सुरक्षित रखते हुए पारदर्शिता और न्यायसंगत प्रक्रिया के साथ लागू किया जाए।
विशेषज्ञों का कहना है कि इस कानून के प्रभाव से कंबोडिया में राजनीतिक असंतोष और विरोध प्रदर्शन बढ़ सकते हैं, और अंतरराष्ट्रीय समुदाय के नजरिए में देश की छवि प्रभावित हो सकती है।
यह विधेयक कंबोडिया में नागरिक अधिकारों और राजनीतिक स्वतंत्रता पर सरकार की बढ़ती पकड़ का प्रतीक माना जा रहा है।
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