चीन ने ताइवान की एक साइकोलॉजिकल ऑपरेशन्स (PsyOps) यूनिट पर आरोप लगाया है कि उसने “विदेशी संसाधनों की मदद से अलगाववादी संदेश और प्रचार फैलाया”। इस आरोप के साथ ही चीन ने यूनिट के सदस्यों पर इनाम की घोषणा भी की है, ताकि उनके खिलाफ जानकारी देने वालों को प्रोत्साहित किया जा सके।
चीनी अधिकारियों का कहना है कि यह यूनिट सार्वजनिक राय को प्रभावित करने के लिए विदेशी स्रोतों से संसाधनों का इस्तेमाल कर रही थी। चीन के मुताबिक, इस तरह की गतिविधियाँ राष्ट्रीय एकता और सुरक्षा के लिए खतरा हैं।
ताइवान ने अभी तक इस आरोप पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं दी है, लेकिन अंतरराष्ट्रीय विश्लेषकों का मानना है कि यह कदम चीन की ताइवान पर बढ़ती सख्ती और प्रचार युद्ध का हिस्सा है।
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विशेषज्ञों के अनुसार, PsyOps यूनिटें आमतौर पर मानसिक और सूचना संचालन के लिए काम करती हैं, जैसे कि सोशल मीडिया और डिजिटल प्लेटफॉर्म के माध्यम से संदेश फैलाना, जनता के दृष्टिकोण को प्रभावित करना और विरोधी सरकार या समूहों की छवि को कमजोर करना।
चीन का यह कदम न केवल ताइवान की साइबर और सूचना सुरक्षा पर दबाव डालने की कोशिश है, बल्कि यह संदेश भी देता है कि कोई भी अलगाववादी गतिविधि सख्त दंड का सामना कर सकती है।
इस मामले से क्षेत्रीय राजनीति और चीन-ताइवान संबंधों में तनाव और बढ़ने की आशंका जताई जा रही है। विश्लेषक मानते हैं कि आने वाले दिनों में इस घटनाक्रम का साइबर सुरक्षा, अंतरराष्ट्रीय कूटनीति और सूचना युद्ध पर बड़ा प्रभाव पड़ सकता है।
चीन ने इस घोषणा के माध्यम से यह स्पष्ट किया है कि वह किसी भी प्रकार के अलगाववादी प्रयासों को रोकने और राष्ट्रीय सुरक्षा बनाए रखने के लिए सख्त कदम उठाने के लिए तैयार है।
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