पूर्वी भूमध्यसागर के देशों तुर्की, ग्रीस और साइप्रस में जून और जुलाई के दौरान लगी सैकड़ों घातक जंगल की आग के पीछे जलवायु परिवर्तन का बड़ा हाथ होने की पुष्टि एक नए अध्ययन में हुई है।
अध्ययन के अनुसार, इन आगजनी की घटनाओं को 40 डिग्री सेल्सियस से अधिक तापमान, बेहद शुष्क परिस्थितियों और तेज हवाओं ने और भी खतरनाक बना दिया। शोधकर्ताओं का कहना है कि जलवायु परिवर्तन ने न केवल आग लगने की संभावना बढ़ाई, बल्कि उसकी तीव्रता और फैलाव को भी कई गुना बढ़ा दिया।
रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि हाल के वर्षों में भूमध्यसागरीय क्षेत्र में गर्मी की लहरें और सूखा सामान्य हो गए हैं, जिससे जंगलों में आग लगने का खतरा लगातार बढ़ रहा है। इस वर्ष, जून-जुलाई में लगी आग ने सैकड़ों हेक्टेयर वन क्षेत्र को नष्ट कर दिया, हजारों लोगों को अपने घर छोड़ने पड़े और कई लोगों की मौत भी हुई।
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विशेषज्ञों के अनुसार, यदि ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन पर नियंत्रण नहीं लगाया गया, तो आने वाले वर्षों में ऐसी भीषण आगजनी की घटनाएं और अधिक सामान्य हो जाएगी। शोधकर्ताओं ने चेतावनी दी है कि यह संकट सिर्फ भूमध्यसागर तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि वैश्विक स्तर पर आग की घटनाओं में वृद्धि हो सकती है।
इस अध्ययन से स्पष्ट है कि जलवायु परिवर्तन अब सिर्फ एक पर्यावरणीय मुद्दा नहीं, बल्कि मानव जीवन और अर्थव्यवस्था के लिए सीधा खतरा बन गया है।
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