लोकपाल द्वारा सात बीएमडब्ल्यू कारें खरीदने के लिए टेंडर जारी करने के फैसले को लेकर विपक्ष ने तीखी आलोचना की है। कांग्रेस नेता और पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम ने इस कदम को “जन धन की बर्बादी” और “विडंबनापूर्ण” बताया।
16 अक्टूबर को जारी टेंडर में कहा गया, “भारत का लोकपाल प्रतिष्ठित एजेंसियों से सात बीएमडब्ल्यू 3 सीरीज़ 330Li कारों की आपूर्ति के लिए खुला निविदा आमंत्रित करता है।” ये कारें ‘एम स्पोर्ट’ मॉडल, ‘लॉन्ग व्हीलबेस’ और सफेद रंग में मांगी गई हैं।
इस निर्णय के सामने आने के बाद कांग्रेस ने लोकपाल की प्राथमिकताओं पर सवाल उठाए। चिदंबरम ने एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर पोस्ट करते हुए लिखा, “जब सुप्रीम कोर्ट के माननीय न्यायाधीशों को सामान्य सेडान कारें दी जाती हैं, तो लोकपाल के चेयरमैन और छह सदस्यों को बीएमडब्ल्यू कारों की क्या आवश्यकता है? सार्वजनिक धन क्यों खर्च किया जा रहा है?”
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उन्होंने आगे लिखा, “मुझे उम्मीद है कि लोकपाल के कम से कम एक या दो सदस्य इन कारों को लेने से इनकार करेंगे।”
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि लोकपाल, जिसका गठन भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने के लिए किया गया था, उस पर अब “शाही खर्च” के आरोप लगना संस्थान की साख के लिए नुकसानदायक हो सकता है। विपक्ष का तर्क है कि इस तरह के निर्णय सरकार की पारदर्शिता और सादगी के दावों पर सवाल खड़े करते हैं।
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