उत्तर प्रदेश सरकार को बड़ा झटका देते हुए सूरजपुर की एक अदालत ने वर्ष 2015 में हुए मोहम्मद अख़लाक़ हत्याकांड के आरोपियों के खिलाफ दर्ज सभी आरोप वापस लेने की राज्य सरकार की याचिका खारिज कर दी है। अदालत ने न केवल इस मांग को अस्वीकार किया, बल्कि मामले की सुनवाई को तेज करते हुए इसे “अत्यंत महत्वपूर्ण” श्रेणी में रखने और रोजाना सुनवाई करने के निर्देश भी दिए हैं।
यह आदेश अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश सौरभ द्विवेदी ने मंगलवार को पारित किया। अदालत ने स्पष्ट किया कि इस संवेदनशील मामले में न्याय में देरी नहीं होनी चाहिए और साक्ष्यों की सुरक्षा तथा निष्पक्ष सुनवाई सर्वोच्च प्राथमिकता है।
अदालत ने अपने आदेश में यह भी कहा कि गौतम बुद्ध नगर के पुलिस आयुक्त और ग्रेटर नोएडा के पुलिस उपायुक्त को पत्र भेजा जाए, ताकि मामले से जुड़े सभी साक्ष्यों को पूरी तरह से सुरक्षा प्रदान की जा सके। कोर्ट ने संकेत दिया कि साक्ष्यों के साथ किसी भी प्रकार की छेड़छाड़ या लापरवाही को गंभीरता से लिया जाएगा।
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गौरतलब है कि सितंबर 2015 में दादरी क्षेत्र में कथित रूप से गोमांस रखने की अफवाह के बाद मोहम्मद अख़लाक़ की भीड़ द्वारा पीट-पीटकर हत्या कर दी गई थी। इस घटना ने देशभर में भारी आक्रोश पैदा किया था और कानून-व्यवस्था, सांप्रदायिक सौहार्द और न्याय प्रणाली को लेकर तीखी बहस छेड़ दी थी।
राज्य सरकार द्वारा आरोप वापस लेने की कोशिश को लेकर विपक्षी दलों और सामाजिक संगठनों ने कड़ा विरोध जताया था। अब अदालत के इस फैसले के बाद यह मामला एक बार फिर चर्चा में आ गया है और पीड़ित परिवार को न्याय की उम्मीद जगी है।
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